
शरीर कोरोना के साथ रहना सीख लेगा उस दिन कोरोना की हालत स्पेनिश फ्लू की तरह हो जायेगी, उसके होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा
राजेन्द्र सिंह गहलोत
राजस्थान के चुरू जिले के आसलसर गांव में जन्में और सिंगापुर में कार्यरत न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर रवीन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि हम विदेश में रहकर भी प्रदेश की सेवा करना चाहते हैं और राजस्थान फाउंडेशन के कमिश्नर धीरज श्रीवास्तव के जरिये हमें यह अवसर भी उपलब्ध हो जायेगा, राजस्थान फाउंडेशन के कमिश्नर धीरज श्रीवास्तव से भी मेरी बातचीत चल रही है कि हमने जो विदेशों में डिग्रीयां ली, जो ज्ञान लिया, वह ज्ञान और स्किल प्राप्त करने के बाद हम चाहते हैं कि हमने विदेशों में जो सीखा वह तकनीक इंडिया लाई जाये, मैं खुद महिने में कम से कम 1-2 बार राजस्थान आकर अपनी सेवायें दे सकता हूं, ब्रेन से खून के थक्के को कैसे निकाला जा सकता है वह मैं जानता हँू, ऐसा करके हम कई इंसानों को विकलांगता से बचा सकते हैं। मैं राजस्थान के विभिन्न शहरों में जाकर अपनी सेवाएं दे सकता हूं।
चुरू जिले के आसलसर गांव में हुआ जन्म
मैं वैसे तो मैं चुरू जिले के आसलसर गांव में जन्मा हूं, दादाजी तहसीलदार थे, पिताजी जयपुर आ गये तो 30-40 साल से जयपुर ही हैं, जयपुर में ही शुरूआती शिक्षा प्राप्त की, कोटा एलन में पढ़ाई की, राजस्थान पी.एम.टी. और सी.पी.एम.टी. दोनों में ही रैंक थी तो मद्रास मेडिकल कॉलेज चेन्नई से एम.बी.बी.एस. किया, फिर सिंगापुर से एम.डी. की, एम.आर.सी.पी. लंदन से की, एफ.ए.एम.एस. न्यूरोलॉजी की डिग्री सिंगापुर से ली, एफ.आर.सी.पी. एडिनबर्ग से की, नेशनल न्यूरोसाइंस इंस्टीट्यूट में न्यूरोलॉजी कंसल्टेंट के रूप में काम किया और वर्तमान में माउंट इलिजबेथ नोविना हॉस्पिटल सिंगापुर में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।
कोरोना वायरस अपना स्ट्रेन बदलता रहता है इसलिये वैक्सीनेशन जरूरी
कोरोनाकाल के बारे मे बात करें तो मैं कहूंगा 1917-18 में स्पेनिश फ्लू आया था, करीब दो साल वह रहा, उसके बाद वह असरकारक नहीं रहा, जबकि उस समय कोई वैक्सीन नहीं थी, ठीक इसी तरह अभी कोरोना है जिसने आपातकालीन परिस्थितियां पैदा कर दी हैं, आज तो वैक्सीन भी उपलब्ध हैं लेकिन जागरूकता का अभाव है, हमारी हैल्थ मिनिस्ट्री को रिकमंड करना चाहिये था कि कोरोनाकाल में चुनाव कराने लायक स्थितियां नहीं हैं, क्योंकि चुनाव होंगे तो सभाएं होंगी, भीड़भरी सभाएं होगी तो भीड़ से कोरोना फैलेगा, और लॉकडाउन लगाने से पहले एक अलग से डिपार्टमेंट बनाना चाहिये था जो गरीब और मध्यमवर्गीय जनता की दैनिक आवश्यकताओं की 100 प्रतिशत पूर्ति सुनिश्चित करता। ट्रिपल लेयर मास्क हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता तो कपड़े का मास्क भी काम में लिया जा सकता है लेकिन मास्क रोज धुलना चाहिये। कोरोना वायरस अपना स्ट्रेन बदलता रहता है इसलिये वैक्सीनेशन जरूरी है लेकिन जनता में वैक्सीनेशन के प्रति उपजी गलतफहमियों को दूर करने की बजाय हवा दी गई जिससे वैक्सीन की खपत कम हुई और निर्यात तक करना पड़ा और आज हालात ऐसे हो गये कि वैक्सीन की कमी से जूझना पड़ रहा है।

कोरोना की हालत भी स्पेनिश फ्लू की तरह हो जायेगी
इस महामारी से कब तक निजात मिलेगी यह तो वक्त ही बतायेगा लेकिन स्पेनिश फ्लू दो साल रहा था फिर हम उसके अभ्यस्त हो गये, वो आज भी है लेकिन हमारा शरीर उसका अभ्यस्त हो चुका, इसी तरह कोरोना को 1 साल तो हो चुका अब जून 2022 तक हमारा शरीर कोरोना के साथ रहना सीख ले इसका अभ्यस्त हो जाये तो कोरोना की हालत भी स्पेनिश फ्लू की तरह हो जायेगी जिसके होने न होने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा जैसाकि आज स्पेनिश फ्लू के होने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ रहा, लेकिन इसके लिये साइंस, नेचर और इम्यूनिटी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
राजस्थान की माटी की यही शान, बुलन्दी आसमान पर और न शान, न गुमान
डॉक्टर रवीन्द्र सिंह शेखावत से रूबरू होने के बाद आभास हुआ कि राजस्थान की माटी की यही शान है कि बुलन्दी आसमान पर और न शान, न गुमान। मैंने जयपुर में न्यूरोसर्जन डॉक्टर एस.आर.धारकर और न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अशोक पनगडिय़ा का ही नाम सुना था, जो एस.एम.एस. मेडिकल कॉलेज, जयपुर के प्रिंसिपल भी रहे और संयोग से इन दोनों से ही रूबरू होने का मुझे कई बार मौका भी मिला। मैं डॉक्टर एस.आर.धारकर से बेहद प्रभावित रहा और कुछ वैसा ही डॉक्टर रवीन्द्र सिंह शेखावत से भेंटवार्ता करने के बाद भी महसूस हुआ।
डॉक्टर रवीन्द्र सिंह शेखावत का संदेश- आपका आत्मविश्वास ही आपको सफलता दिलायेगा
आज डॉक्टर्स की बहुत कमी है, डॉक्टर बनकर मानवता की सेवा करना बहुत बच्चों का सपना होता है, लेकिन उस सपने को हकीकत में बदलने के लिये कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा, पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात कि मेडिकल एन्ट्रेंस एग्जाम के लिये जो बेस है वह कक्षा 11 व 12 की पढ़ाई है, उस पर बहुत अच्छी पकड़ होनी चाहिये, आपको रटने की जरूरत नहीं है, समझने की जरूरत है, समझने के लिये साइंस के एनिमेटेड वीडीयो यूट्यूब पर देखे जा सकते हैं इससे आपको बहुत कुछ क्लीयर हो जायेगा, जब नींद आये तो सो जाओ वरना दिमाग काम नहीं करेगा तो कुछ समझ में नहीं आयेगा और उस वक्त का पढ़ना बेकार हो जायेगा, समय पर खाना पीना हो, एक तपस्वी की तरह 8-10 घंटे सारे सुखों को जैसे टीवी देखना वगैरह को त्यागकर दत्तचित्त होकर पढ़ाई करोगे तो मंजिल करीब होगी, और सबसे बड़ी बात है आपका आत्मविश्वास कि मैंने कक्षा 11 व 12 की बहुत अच्छी तैयारी की है तो मैं मेडिकल एन्ट्रेंस एग्जाम क्रेक कर ही लूंगा, उसमें मेरी अच्छी रैंक आयेगी ही आयेगी, यही आत्मविश्वास आपको सफलता दिलायेगा और इस आत्मविश्वास की इस पेशे में आपको हमेशा जरूरत पड़ेगी क्योंकि असली कहानी तो मेडिकल एन्ट्रेंस एग्जाम में रैंक लाने के बाद शुरू होगी, फिर आपको 10-12 साल तो काम के साथ साथ पढ़ते ही रहना है, तब कर पाओगे एक चिकित्सक के रूप में मानव सेवा ।