कृषि, पशुपालन और डेयरी उत्पादों को वैश्विक बाजार में जगह दिलाने के लिए बने प्रभावी नीति- राज्यपाल

कृषि विवि जोधपुर और पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि बीकानेर के विभिन्न भवनों का लोकार्पण एवं शिलान्यास

राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रदेश में कृषि, पशुपालन और डेयरी उत्पादों के लिए प्रभावी विपणन नीति बनाने पर बल दिया है ताकि ये उत्पाद वैश्विक बाजार में अपनी जगह बना सकें। राज्यपाल मिश्र ने कृषि और पशुपालन का राज्य के विकास का मुख्य आधार बताते हुए कहा कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हुए आधुनिक विकास का लाभ किसान और पशुपालकों को मिलना चाहिए।

राज्यपाल मिश्र गुरुवार को यहां राजभवन से कृषि विवि जोधपुर और पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि बीकानेर के विभिन्न भवनों का लोकार्पण एवं शिलान्यास समारोह में ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल मिश्र ने कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर के प्रशासनिक भवन एवं कृषि महाविद्यालय, नागौर के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण तथा पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के जोधपुर में नवीन पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय भवन काशिलान्यास तथा जोधपुर, अविकानगर (टोंक), रतनगढ़ (चूरू), डूंगरपुर और झुंझुनूं के पशु विज्ञान केन्द्रों के नवीन भवनों का ऑनलाइन लोकार्पण किया।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रही बड़ी आबादी की आजीविका का मुख्य आधार कृषि और पशुपालन ही है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए खेती के अलावाकिसान अनुपूरक आय के लिए पशुपालन पर निर्भर है, ऐसे में पशुधन के बेहतर प्रबन्धन के साथ पशुधन संरक्षण के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों के डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत है। उन्होंने पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि बीकानेर को स्थान विशेष की विशेषताओं पर आधारित उत्पादों के प्रोत्साहन और विपणन के लिए कार्ययोजना बनाने का सुझाव दिया।

राज्यपाल मिश्र ने कृषि विवि जोधपुर को मरुक्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति और जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए भविष्य की चुनौतियों से निपटने हेतु अनुसंधान करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि फसलों की ऐसी किस्में भी विकसित की जानी चाहिए जो प्राकृतिक आपदाओं और सूखे को सहन कर सकें। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर फसल उत्पादन, बीज गुणवत्ता और भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए हो रहे प्रयासों का लाभ स्थानीय किसानों और पशुपालकों को अधिकाधिक मिलना चाहिए।

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