पंचकल्याणक का प्रथम दिन की शुरुआत भव्य घटयात्रा से प्रारंभ हुई

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अलवर। नवनिर्मित सूर्यनगर जैन मंदिर से प्रारम्भ होकर अयोध्या नगरी के लिये भव्य जुलूस के रूप में प्रवेश हुआ।

घटयात्रा में बेंड बाजे, जुलूस, बग्गियों में सवार इंद्र, आचार्यश्री ज्ञानभूषण जी मुनिराज ससंघ अंत मे श्रीजी को रथ पर सवार नाचते गाते श्रदालुओ ने जयकारों के साथ भाग लिया

आचार्य श्री ने मंच पर आसीन होकर सभी उपस्थित श्रदालुओ को पंचकल्याणक के महत्व को समझाया किस प्रकार इंसान से भगवान बने ।

त्याग और तपस्या का महत्व बताया । दान की महिमा और धर्म तथा मंदिर में तिनके के समान सहयोग का कितना प्रतिफल मिलता है से अपने प्रवचनों के माध्यम से बताया ।

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