
देश में बढ़ेगी महंगाई, आयातकों को होगा घाटा
विदेशी बाजारों में मजबूती के बीच भारतीय रुपया गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया। गुरुवार को भारतीय रुपये में 18 पैसे की गिरावट हुई। फारेक्स मार्केट में डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 79.9975 पर बंद हुई जबकि थोक मुद्रास्फीति लगातार 15 महीनों से जून तक दोहरे अंकों में रही।
विश्लेषकों ने कहा कि हालांकि, पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट से रुपये को राहत मिली है। भारतीय रुपया क्षेत्रीय मुद्राओं के बीच औसत प्रदर्शनकर्ता बन गया है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये ने दिन की शुरुआत में मजबूत रुख के साथ 79.71 प्रति डॉलर पर की। कारोबार के दौरान रुपया 79.71 के उच्चतम स्तर तक गया और 79.99 रुपये के निचले स्तर तक आया। आखिर में रुपया पिछले बंद भाव के मुकाबले 18 पैसे की गिरावट के साथ 79.99 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
खनिजों की कीमतों में तेज गिरावट के कारण थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति जून में तीन महीने के निचले स्तर 15.18 प्रतिशत पर आ गई है, लेकिन खाद्य पदार्थों पर महंगाई बढ़ रही है। जून लगातार 15वां महीना है जब थोक महंगाई दर दहाई अंक में रही। पिछले महीने थोक महंगाई दर ने 15.88 फीसदी की रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ था। जून 2021 में थोक महंगाई दर 12.07 फीसदी थी।
इस बीच वित्त मंत्रालय ने कहा है कि महंगा आयात और कमजोर व्यापारिक निर्यात के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत का चालू खाता घाटा बिगडऩे की आशंका है। सीएडी और बढ़ते एफपीआई की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए, जनवरी 2022 से छह महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में 34 बिलियन अमरीकी डालर की गिरावट आई है।
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी मुद्रास्फीति 41 साल के उच्च स्तर पर है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण ग्लोबल मार्केट में जारी उतार-चढ़ाव के बीच डॉलर की मांग बढ़ती जा रही है। युद्ध कारण रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके कारण ही ट्रेडिंग के लिए डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे डॉलर 20 साल के सबसे मजबूत स्थिति में पहुंच गया है. इसका सीधा असर रुपये पर भी दिख रहा।
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