वल्लभकुल की कोई परंपरा न तो बंद होगी, न बदलेगी, दिवाली से लेकर अन्नकूट महोत्सव तक के कार्यक्रम होंगे

राजसमन्द। द्वारकाधीश मंदिर के प्रन्यास सदस्यों की बैठक शुक्रवार को प्रन्यास उपाध्यक्ष गोस्वामी परागकुमार महाराज व प्रन्यासी गोस्वामी शिशिरकुमार महाराज की उपस्थिति में प्रन्यासियों की बैठक हुई। इसमें दिवाली, कानजगाई, गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव के विषय में कोरोना की गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए सेवा व्यवस्था, दर्शन व्यवस्था को लेकर प्रस्ताव पारित किए। सर्वसम्मति से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।

द्वारकाधीश मंदिर में दिवाली, कानजगाई, गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव वर्तमान कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए यह उत्सव मनाए जाएंगे। इस दौरान प्रन्यास के सदस्यों ने आग्रह किया कि वल्लभ कुल की किसी भी परंपरा को बंद या बदला नहीं जाएगा। केवल कोविड की गाइडलाइन की पालना के लिए उसमें आंशिक बदलाव किया जा सकता है। लेकिन सभी पंरपराएं पूर्वानुसार निभाई जाएगी। इसके अलावा उत्सवों के दौरान किसी असामाजिक तत्वों की मौजूदगी मे होने वाली अव्यवस्था से बचने के लिये कांकरोली थाना पुलिस से जाब्ता तैनात करवाया जाएगा।

इसी बीच तीन दिन पहले से तृतीय पीठ कांकरोली की परंपरा अनुसार श्री प्रभु के रोशनी के विविध मनोरथ का शुभारंभ हो चुका है। इसमें प्रथम पंचमी के दिन शयन दर्शन में रोशनी में श्रीप्रभु टकमा की सांगामाची पर, दूसरी पंचमी के दिन नारपागा की सांगामाची पर, छठ के दिन चंदन की सांगामाची पर बिराजे। शुक्रवार से अगले तीन दिन तक चांदी के भव्य नौमहला में विराजकर श्रीप्रभु मंगला से लेकर शयन पर्यंत विविध अलौकिक मनोरथ अंगीकार करेंगे। बैठक प्रन्यास के उपाध्यक्ष गोस्वामी पराग कुमार, गोस्वामी शिशिर कुमार के निर्देशन मे दिवाली की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

मंदिर मे दर्शनों के दौरान सेनिटाइजर की जगह प्रमाणित गौ मूत्र का होगा उपयोग

बैठक मेें गोस्वामी द्वारकेश लाल महाराज ने सेनिटाइजर में अल्कोहल के प्रयोग के कारण कोई अन्य विकल्प तलाशने की बात की। इस पर सभी सदस्यों ने गौ मूत्र से बने प्रामाणिक सेनिटाइजर मंगवाने पर सहमति जताई, जो बड़ौदा से 300 लीटर मंगवाया जाएगा। द्वारकेशलाल महाराज ने कहा कि यह पर्व गो धन पूजा का भी है, इसमें गौ मू्त्र का महत्व है। इसके साथ ही वल्लभकुल और वैष्णव संप्रदाय मे अल्कोहल के बजाय गौ मूत्र का प्रयोग किया जाएं, जो वैदिक और पवित्र है।

कान्हा जगाई और गोवर्धन पूजा के लिए गोवंश लाने से आमजन को नहीं हो असुविधा

दिवाली की रात और गोवर्धन पूजा के दिन मंदिर की द्वारकेश गोशाला से गोवंश को लाने के दौरान बृजवासियों द्वारा गौ क्रीडा की जाती है। जो वर्षों से चली आ रही परंपरा है। लेकिन शहर की सड़कों पर भीड रहती है। इसके अलावा आने जाने वालों को भी परेशानी नहीं हो, इसके साथ परंपरा का निर्वहन भी बखूबी हो। इसके लिए गोवंश को लाने का मार्ग बदलकर मुखर्जी चौराहे से सूरजपोल होते हुए रेती मोहल्ला और मंदिर मार्ग होते हुए मंदिर के गोवर्धन पूजा चौक से किया गया। इस बदलाव से मंदिर मे दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भी इस रोमांचक नजारे का आनंद मिलेगा।

यह भी पढ़ें-महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज में अंधविश्वास एवं मानसिक स्वास्थ्य पर नाटक का मंचन

Advertisement