सीमेंट उपभोग 2030 तक 435 किलोग्राम होने की संभावना: जोशी

जयपुर। सीमेंट उद्योग का मानना है कि मजबूत बुनियादी ढाँचे की आवश्यकताओं के कारण सीमेंट की मांग में भारी वृद्धि होगी, जिसे देश सरकार के साथ-साथ आवास परियोजनाओं के माध्यम से लागू करने का प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में आवासीय क्षेत्र में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के माध्यम से प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत की वृद्धि संभव है।

देश में प्रति व्यक्ति सीमेंट उपभोग की वृद्धि के चलते आशा है कि यह वर्ष 2018 में 225 किलोग्राम के मुकाबले बढ वर्ष 2030 तक 435 किलोग्राम हो जाएगा। यह हमें 365 एमएमटी की अतिरिक्त क्षमता विस्तार पर 2030 तक देश की भविष्य की सीमेंट मांग को पूरा करने में सक्षम करेगा, जो वर्तमान मांग में लगभग 82 प्रतिशत की वृद्धि कही जा सकती है।

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संजय जोशी कार्यकारी निदेशक, वंडर सीमेंट के अनुसार, वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही के दौरान सीमेंट की मांग में गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण सरकार द्वारा कम खर्च है, जो मांग का लगभग 40 प्रतिशत थी। इसके साथ ही, रियल एस्टेट सेक्टर भी कम सहायक रहा, इसलिए यह उद्योग एक साथ कई कारणों की मार झेल रहा था जिनमें श्रम की कमी, तरलता की कमी, कमजोर परियोजना निष्पादन चक्रवात फानी और अत्यधिक बारिश जैसी प्राकृतिक घटनाओं ने भी मांग को प्रभावित किया।

छमाही में मांग में सुधार की उम्मीद

लेकिन आगामी छमाही में मांग में सुधार की उम्मीद है क्योंकि संस्थागत परियोजनाओं के लिए सरकार के फण्ड रिलीज में क्रमवार तेजी आएगी,कम कच्चे माल की लागत, वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में गिरावट और बिजली और ईंधन की लागत की वजह से उच्च राजस्व और मुनाफे में वृद्धि देखी जाएगी।

गुणवत्तापूर्ण सीमेंट की हमेशा मांग

गुणवत्तापूर्ण सीमेंट की हमेशा मांग रहती है क्योंकि भारत में सीमेंट की मांग के प्रमुख उपभोक्ता मुख्य रूप से आवास और रियल एस्टेट क्षेत्र (65 प्रतिशत), पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (20 प्रतिशत) और औद्योगिक विकास (15 प्रतिशत) हैं। मौजूदा मांग से इन सभी घटकों में निवेश के विस्तार के कारण वृद्धि की उम्मीद है।

उच्च सरकारी खर्च उद्योग के लिए एक प्रमुख विकास वाहक

बुनियादी ढांचे और आवास पर उच्च सरकारी खर्च उद्योग के लिए एक प्रमुख विकास वाहक होगा। भारत सरकार ने 100 स्मार्ट सिटी बनाने, रेलवे की क्षमता का विस्तार करने, अगले पांच वर्षों में 1,25,000 किलोमीटर सडक की लम्बाई बढ़ाने और माल के भंडारण और हैंडलिंग की सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देेश्य से परिवहन लागत को कम करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर महत्वपूर्ण जोर दिया है।