स्वच्छता, शुद्ध मन और पवित्र विचार ही करते हैं सबका कल्याण : अमितसागर

उदयपुर। दस लक्षण महापर्व के चौथे दिन दिगंबर जैन समाज ने उत्तम सोच धर्म मनाया। सेक्टर-11 स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि अमित सागर ने कहा कि शौच धर्म पवित्रता का प्रतीक है।

पवित्रता संतोष से ही आती है। तन स्वच्छ होना चाहिए, लेकिन मन की शुद्धता और विचारों की पवित्रता इससे भी ज्यादा आवश्यक है। यह स्थिति आत्म और सर्व कल्याण करती है। मुनि ने कहा- लोभ से इच्छा और इच्छा से तृष्णा बढ़ती है। इनकी पूर्ति कर पाना कभी संभव नहीं है। शुचिता का यह पावन धर्म इसी लोभ और तृष्णा के शमन का अवसर है, जिसमें सफाई शुद्धता का ध्यान रखा जाता है।

पर्व के अनुष्ठानों के तहत श्रावकों ने भगवान के अभिषेक, शांतिधारा और नित्य नियम पूजन लाभ लिया। इधर, लोकाशाह जैन स्थानक में सोमवार को सुकनमुनि ने प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि बिना तपे सोना शुद्ध नहीं बनता।

उसी प्रकार तप करने से शरीर स्वस्थ और आत्मा पवित्र बन सकती है। तप निस्वार्थ भाव से होना जरूरी है। बड़ा बाजार स्थित संभवनाथ दिगंबर जैन मंदिर में श्रावकों ने मूलनायक भगवान भगवान संभवनाथ की शांतिधारा की। साथ ही कई कार्यक्रम हुए।

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