
श्रीहरिकोटा से भरी उड़ान, इससे कैब बुक करने जितनी
आसान होगी सैटेलाइट लॉन्चिंग
नई दिल्ली। देश का पहला प्राइवेट रॉकेट विक्रम-एस लॉन्च हो गया है। ये रॉकेट आवाज की गति से पांच गुना ज्यादा स्पीड से अंतरिक्ष की ओर गया। 81.5 किमी की ऊंचाई पर तीन पेलोड सफलता से इजेक्ट किए। 89.5 किमी. की अधिकतम ऊंचाई हासिल की और फिर समुद्र में स्प्लैश डाउन हो गया।
लॉन्चिंग के साथ ही इसे बनाने वाले 4 साल पुराने स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस के नाम एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई है। कंपनी का कहना है कि इससे सैटेलाइट लॉन्चिंग कैब बुक करने जितनी आसान हो जाएगी।

इस सब की शुरुआत होती है साल 2018 से। जब इसरो के साइंटिस्ट पवन कुमार चंदना और नागा भरत डका ने नौकरी छोड़कर अंतरिक्ष से जुड़ी अपनी कंपनी चलाने का फैसला किया। उस वक्त भारत में कोई प्राइवेट प्लेयर नहीं था, इसलिए आईआईटी के इन दोनों पूर्व छात्रों का भविष्य भी धुंधला दिख रहा था।
चंदना को अंतरिक्ष और रॉकेटरी का चस्का लगा आईआईटी खडग़पुर में। यहां वो मैकेनिकल इंजीनियरिंग पढ़ रहे थे। आईआईटी के बाद चंदना ने इसरो ज्वॉइन कर लिया। चंदना बताते हैं, ‘कॉलेज के बाद मैं रॉकेट्स का दीवाना हो गया। ये शानदार मशीनें पृथ्वी की ग्रैविटी से बचकर अंतरिक्ष में जाने की ताकत रखती हैं। उनके बिना हमारे पास इतनी सारी चीजें नहीं होतीं।Ó
इसरो में 6 साल काम किया
चंदना ने इसरो में 6 साल काम किया। वो केरल के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में तैनात थे। वो बताते हैं, ‘मैं रॉकेट को समझने में बहुत खुश था कि ये कैसे काम करते हैं। इसरो में रॉकेट बनते और लॉन्च होते देखकर मोहित हो जाता। यहां मैं जीएसएलवी-एमके-3 प्रोजेक्ट का हिस्सा रहा और स्माल सैटलाइट लॉन्च व्हीकल प्रोजेक्ट के डिप्टी मैनेजर पद पर काम किया।
इसरो में ही चंदना की मुलाकात एक अन्य आईआईटीआन नागा भरत डका से हुई। दोनों ने एक-दूसरे के सपनों को समझा और नौकरी छोड़ दी। 2018 में दोनों ने मिलकर स्काईरूट एयरोस्पेस की शुरुआत की।
स्काईरूट ने पिछले 4 साल में क्या-क्या किया?
स्काईरूट एयरोस्पेस ने लॉन्चिंग के साथ ही रॉकेट की रफ्तार से उड़ान भरी है। किसी भी सरकारी एजेंसी को स्माल सैटलाइट बनाने में कम से कम 6 महीनों का समय लगता है। लेकिन जून 2018 में स्काईरूट एयरोस्पेस ने सिर्फ एक हफ्ते में स्माल सैटलाइट तैयार करने का वादा किया था। इस बात पर मिंत्रा कंपनी के फाउंडर मुकेश बंसल ने स्काईरूट एयरोस्पेस को 10.8 करोड़ रुपए की सीड फंडिंग की थी।
अगस्त 2020 में कंपनी ने अपने पहले लिक्विड प्रोपल्शन का सफल टेस्ट किया।
सितंबर 2020 में पूरी तरह से लिक्विड नेचुरल गैस और लिक्विड ऑक्सीजन पर चलने वाले क्रायोजेनिक इंजन धवन-1 को 2 दिनों में तैयार किया।
अक्टूबर 2020 में दुनिया में सबसे सस्ते दाम पर स्माल सैटलाइट लॉन्च व्हीकल बनाने के लिए स्पेस लॉन्च व्हीकल कैटेगरी में नेशनल स्टार्ट-अप अवॉर्ड जीता।
दिसंबर 2020 में स्काईरूट भारत की सॉलिड इंजन प्रोपल्शन रॉकेट स्टेज का सफल परीक्षण करने वाली पहली प्राइवेट कंपनी बनी।
सितंबर 2021 में कंपनी ने इसरो ने साथ एक समझौता किया। जिसमें इसरो रॉकेट लॉन्चिंग में मदद करेगी।
नवंबर 2021 में कंपनी ने अपने पहले 3-डी प्रिंटेड अपर स्टेज लिक्विड प्रोपल्शन इंजन की सफल टेस्टिंग की।
जनवरी 2022 में कंपनी को गूगल के फाउंडिंग बोर्ड मेंबर राम श्रीराम से 34 करोड़ रुपए की सीरीज बी फंडिंग मिली।
मई 2022 में नेशनल टेक्नोलॉजी डे पर भारत सरकार ने कंपनी को टेक्नोलॉजी स्टार्ट-अप अवॉर्ड दिया।
मई 2022 में कंपनी ने विक्रम-1 रॉकेट स्टेज इंजन की सफल टेस्टिंग की।
नवंबर 2022 में देश के पहले प्राइवेट रॉकेट को लॉन्च करने की पूरी तैयारी है।
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