मत चूके चौहान…का सीन देने पर अड़े थे सोनू सूद

'सम्राट पृथ्वीराज'

निर्देशक ने नहीं मानी बात, फ्लॉप हो गई ‘सम्राट पृथ्वीराज’

सोनू सूद ने किया सम्राट पृथ्वीराज को लेकर बड़ा खुलासा, काश! निर्देशक ने मान ली होती ये बात
चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान, सम्राट पृथ्वीराज चौहान को यह बात उनके विश्वस्त चंद्रबरदाई ने उस समय समझाई, जब उन्हें बंदी बनाकर मोहम्मद गोरी अपने देश ले गया। वहां पृथ्वीराज चौहान को कई यातनाएं सहनी पड़ीं। धातु की गर्म छड़ों से पृथ्वीराज की आंखें फोड़ दी गईं। प्रचलित धारणाओं के मुताबिक चंद्रबरदाई को अपने परम मित्र के साथ ये दुर्भाव तनिक भी नहीं भाया।

चंदबरदाई ने अपनी किसी तरह मुहम्मद गोरी का विश्वास जीता और उसका प्रिय भी बन गया। और, एक दिन, चंदबरदाई ने पृथ्वीराज की ‘शब्दभेदी बाणÓ चलने की क्षमता को मुहम्मद गोरी के सामने बहुत आकर्षक ढंग से बताया। इसके आगे का किस्सा बताने से पहले बात इसके जिक्र की वजह की। यशराज फिल्म्स की पिक्चर ‘सम्राट पृथ्वीराजÓ में चंद्रबरदाई बने सोनू सूद का मानना है कि इस फिल्म में बहुत कुछ ऐसा है जो इसके निर्देशक चंद्र प्रकाश द्विवेदी की अपनी सोच की उपज रहा है।

गोरी का वध करने में पृथ्वीराज की मदद की

‘सम्राट पृथ्वीराज’

लौटते हैं उस किस्से की तरफ। तो फिर हुआ यूं कि गोरी की जिज्ञासा हुई पृथ्वीराज की शब्दवेधी बाण की निपुणता देखने की। पृथ्वीराज को दरबार में बुलाया गया और कला प्रदर्शन का आदेश दिया गया। पृथ्वीराज अपनी कला का प्रदर्शन करते रहे और तभी सही मौका देखकर, चंद्रबरदाई ने दोहा पढ़ दिया। इस तरह चंद्रबरदाई ने श्रेष्ठ मैत्री का परिचय देते हुए गोरी का वध करने में पृथ्वीराज की मदद की। इससे पहले की शत्रु की तरफ से कोई और प्रतिघात होता, प्रचलित कहानी के मुताबिक पृथ्वीराज औऱ चंदबरदाई दोनों ने एक दूसरे को मारकर मित्रता अमर कर दी।
यह कहानी हम वर्षों से सुनते और पढ़ते आए है।

डॉक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी की फिल्म सम्राट पृथ्वीराज में चंदबरदाई की भूमिका निभाने वाले सोनू सूद ने भी सुनी है। लेकिन इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं था, जैसा हम वर्षों से सुनते और पढ़ते आए हैं। सोनू सूद कहते हैं, मैंने भी चंदबरदाई वाली कविता सुनी है। मैंने फिल्म के निर्देशक डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी से इसका जिक्र किया तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कई बातें अलग अलग लेख में उपलब्ध हैं। हम थोड़ा ‘अलगÓ करते हैं।

हिसाब से कहानी को पेश किया

सोनू सूद बताते हैं, डॉक्टर साहब इतिहास के काफी जानकार हैं। उनको मैंने कहा था कि मत चूके चौहान वाली बात काफी लोगों को पता है, अगर ऐसा फिल्म में रहे तो लोग उसे ज्यादा कनेक्ट करेंगे। लेकिन उनका कहना था कि मैंने पृथ्वीराज चौहान के बारे में ज्यादा शोध किया है जिसमें मत चूके चौहान वाली बात हर जगह नहीं मिलती है। उन्होंने अपने हिसाब से कहानी को पेश किया।

फिल्म के वह निर्देशक थे। हम तो अपनी बात रख सकते थे। मुझे अब भी ऐसा लगता है कि अगर मत चूके चौहान वाली बात फिल्म में होती तो दर्शक उससे ज्यादा कनेक्ट करते। दक्षिण भारतीय फिल्मों में सोनू सूद का बहुत बड़ा नाम रहा है। इन दिनों कहा जा रहा है कि साउथ की फिल्में बॉलीवुड पर हावी हो रही हैं। सोनू सूद का मानना है कि दक्षिण भारतीय फिल्में दर्शकों की पसंद का काफी ख्याल रखती है। वह कहते हैं, साउथ के मेकर्स आम दर्शकों की पसंद को ध्यान में रखकर सिनेमा बना रहे है, इसलिए उनकी फिल्में चल रही हैं। जब तक हम ऐसी फिल्में नहीं बनाएंगे तब तक इस बात का रोना हमेशा रहेगा कि हमारी फिल्में नहीं चल रही हैं।

यह भी पढ़ें :जानिये रणबीर-आलिया की अजब प्रेम की गजब कहानी