कोरोना के चलते मंदी से जूझ रहा जयपुर का ज्वैलरी बाजार

सर्राफा और कलर स्टोन इंडस्ट्री पर पड़ी दोहरी मंदी की मार

बजट में राहत नहीं मिलने से जयपुर के ज्वैलरी और बुलियन कारोबारी निराश

विशेष संवाददाता/कोपल हालन/पिंकी कड़वे/ जयपुर

राजस्थान अपने पारंपरिक आभूषण और उसकी बनावट शैली के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। वर्षों से चली आ रही अपनी कला में निपूर्ण जयपुर के कारीगरों द्वारा बनाई जाने वाली ज्वैलरी अब आधुनिक होती जा रही है। वैश्विक पटल पर जयपुर ज्वैल सिटी के रूप में पहचाना जाता है, यहां बड़ी मात्रा में ज्वैलरी की मैकिंग और डिजायन होने की वजह से चांदी-सोने और कलर स्टोन की डिमांड काफी बड़ी मात्रा में रहती है। कलर स्टोन का मार्केट भी यहांं काफी बड़ा है। दुनिया में जयपुर के कलर स्टोन को एक बड़े मार्कट के रुप में देखा जाता है जिसने विश्व में अपनी अलग एक पहचान बनाई है। लेकिन, कोरोना काल के कारण बाजार में आई गिरावट के बाद आभूषण, सराफा और कलर स्टोन के व्यापारी बजट से उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन, बजट में ज्वैल ओर बुलियन इंडस्ट्री से जुड़ी कोई खास घोषणाएं नहीं होने से कारोबारियों में काफी निराशा है।

आम बजट 2021 से व्यापारी निराश

साल 2019 में लगे लॉकडाउन के दौरान सोना-चांदी महंगा होने से इसकी खपत कम हुई जिससे ज्वैलरी इंडस्ट्री के कारोबार पर विपरीत प्रभाव पड़ा है और व्यापार में 50 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली। सर्राफा व्यापारी को साल 2021 के आम बजट से जो उम्मीदें थी वो भी धरी की धरी रह गई। गोल्ड और सिल्वर पर लगने वाली कस्टम डयूटी जो की 12.5 प्रतिशत थी उसको 7.5 कर दिया गया है साथ ही अर्ध शुध्द सिल्वर पर 11 से 6.1 प्रतिशत और गोल्ड पर 11.85 से 6.9 प्रतिशत कर दिया गया है। लेकिन इसमें 2.5 का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस लगने से, व्यपारियों में निराशा झलक रही है। वहीं अगर बात करे प्लैटिनम की तो इस पर 12.5 से कम करके 10 प्रतिशत कर दिया गया है। भारत में सोने और चांदी से बनी अर्ध शुध्द धातुओँ का आयात देश में अधिक किया जाना चाहिए जिससे की रोजगार को बढ़ावा मिले साथ ही विदेशी मुद्रा के लेन-देन में लगने वाले राशि की भी बचत हो सके और तो और इससे उत्पन्न होने वाले टेक्स रेवेन्यू से सरकार को सीधा लाभ मिलेगा।

2020 के निर्यात में मिलाजुला रहा असर
जीजेईपीसी की रिर्पोट के मुताबिक 2019 के मुकाबले 2020 में लॉकडाउन ने विपरीत प्रभाव ज्वैलरी इंडस्ट्री उठाने पड़े है जिससे कारोबार में गिरावट देखने को मिली है। बता दें की जनवरी से दिसम्बर 2019 में गोल्ड ज्वैलरी का निर्यात 918.88 का हुआ था तो 2020 में यही आकड़ा गिर कर 851.76 करोड़ रह गया जिससे 7.304 करोड़ का घाटा हुआ, वहीं प्लैटिनम ज्वैलरी में 2019 में 1.14 और 2020 में 1.89 करोड़ से 65.379 करोड़ की उछाल देखने को मिली। वहीं सिल्वर में 2019 में 1,345.05 और 2020 में 1,223.31 करोड़ रहा जिससे 9.051 करोड़ का नुकसान हुआ, सिनथैटिक स्टोन में 2019 में 0.204 और 2020 में 3.286 करोड़ रहा जिससे 1,504.604 करोड़ की वृद्धि हुई, मोती में 2019 में 0.796 और 2020 में 0.851 करोड़ रहा जिससे 6.890 करोड़ की वृध्दि हुई तो वहीं कोमोडिटी केटेगिरी में कलर्ड जेम्सस्टोन में 2019 में 1,506.03 और 2020 में 1,241.44 करोड़ रहा जिससे 17.56 करोड़ की गिरावट इंडस्ट्री को उठाना पड़ा।

आयात भी गिरा
वहीं इसके आयात में भी गिरावट आई है, जनवरी से दिसम्बर 2019 में गोल्ड ज्वैलरी का आयात 81.79 करोड़ का हुआ था तो 2020 में यही आकड़ा गिर कर 64.83 करोड़ रह गया, वहीं प्लैटिनम ज्वैलरी में 2019 में 0.81 और 2020 में 0.66 करोड़, सिल्वर में 2019 में 52.16 और 2020 में 42.44 करोड़, सिनथैटिक स्टोन में 2019 में 18.65 और 2020 में 1.42 करोड़, मोती में 2019 में 17.78 और 2020 में 10.72 करोड़ तो वहीं कोमोडिटी केटेगिरी में कलर्ड जेम्सस्टोन में 2019 में 366.81 और 2020 में 255.21 करोड़ रहा है।

टैक्स के नाम पर हैरेसमेंट: कैलाश मित्तल

कैलाश मित्तल

सर्राफा ट्रेडर्स समिति के अध्यक्ष कैलाश मित्तल ने बताया कि व्यपारी संग को सोने की स्मगलिंग से काफ़ी तकलीफों का सामाना करना पड़ता है, क्योकिं टेक्स की चोरी से मार्केट में गोल्ड सस्ता मिलता है जिससे ग्राहक को कम दाम में गहने मुहैया हो जाते है जोकि व्यपारियों के लिए बड़ी समस्या है। साथ ही उनका कहना है कि जीएसटी में नए कानून आने से व्यापारियों का हैरेसमेंट हो रहा है जिसकी तरफ़ सरकार को ध्यान देनी की जरूरत है। साथ ही पीएमलए एक्ट पर पूछे जाने पर उनका कहना है कि सरकार को इसके अन्तरगत बहुत आसान पॉलिसी लानी होगी जिसमें गोल्ड की खरीद को ग्राम में भी रखना होगा जिससे किसान और मजदूर वर्ग को भी इसका लाभ मिल सकेगा। इन्होंने आगे कहा है कि कैश लिमिट को बढ़ाना चाहिए जिससे ग्रमिण क्षेत्र के लोगोंह्य को परेशानी न हो वहीं टीसीएस को बेतुका करार करते हुए केवाईसी की प्रक्रिया के दौरान होने वाले डिपाटमेंटल हैरेसमेंट की जानकारी को साझा किया है और सरकार से अनुरोध किया है कि इसे हटाया जाना चाहिए।

बजट से आम जनता को राहत – निर्मल बरडिय़ा

निर्मल बरडिया

वहीं आरएमसी जेम इडिया लिमिटेड के एक्जिक्यूटिव मेम्बर नर्मल बरडिया ने आम बजट को उपभोक्ता के लिए काफ़ी बहतरीन बताया है, इनका कहना है कि आम जनता को सोने-चांदी के दामों में गिरावट आने से काफ़ी सहूलियत होगी और सामान्य आभूषण खरीदनें में आसानी आएंगी। वहीं व्यापारीयों को कम डयूटी लगने से निर्यात करने में ज़्यादा असानी होगी।

तस्करी से कारोबार में घाटा: संजय काला

संजय काला

जयपुर ज्वैलस एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय काला ने डयूटी में बदलाव को एक सार्थक शुरूआत बताया है लेकिन दूसरी ओर अपनी चिंता जताते हुऐ उनका कहना है कि इमानदारी से कार्य कर रहे कारोबारियों को तस्करी से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि ग्राहकों को सस्ते दामों में आभूषण उपलब्ध हो जाते है जिससे कानूनी तौर पर काम करने वालो को घाटा होता है। इसके साथ ही उन्होनें आने वाले वक्त के लिए सरकार से गुजारिश कि है कि वह कलर्स स्टोन पर लगने वाली 7.5 प्रतिशत डयूटी को घटा कर 2.5 अगर कर दें तो व्यवसाईयों को काफ़ी सहूलियत होगी क्योंकि पहले से ही कई सारे टेक्स का भुगतान किया जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि रंगीन स्टोन रफ़ के आयात पर लगने वाले 0.50 प्रतिशत डयुटी को भी हटाया जाना चाहिए। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए गोल्ड एक्सचेंज सेटअप का स्वागत करते हुए उन्होनें कहा कि इससे सोने की बिक्री में सरलता होगी साथ ही इस बजट को विकास का बजट बताते हुए व्यपारियों की अपेशा के अनुरूप करार दिया है।

देश की अर्थव्यवस्था में 7 प्रतिशत और कुल निर्यात में 14 फीसदी हिस्सेदारी
राजस्थान के आभूषणों में पीढिय़ों पुरानी परंपरा का छलकना अपने आप में ही खासी लोकप्रिय है। गले के हार, अंगूठी, बोर बालियां, कमरबंध, झमेला, चेन, बाजूबंध, पाजेब या फिर मंगलसूत्र, सभी जयपुरीयां ज्वैलरी लोगों को पसंद आती है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार होने से कोरोना काल में व्यपारियों को नुकसान उठाना पड़ा है। 1 फरवरी को आए आम बजट से ज्वैलरी इंडस्ट्री के कारोबारियों को राहत की उम्मीद थी जिससे लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई कुछ हद तक कम हो जाती लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था में 7 प्रतिशत और देश के कुल निर्यात में 14 फीसदी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस सेक्टर को दी गई कस्टम डयूटी कारोबारियों के मुताबिक न के बराबर है जिससे तस्करी बढ़ेगी और अंसगठित कारोबार को प्रोत्साहन मिलेगा।

90 फीसदी का उत्पादन
राजस्थानी आभूषण पीढिय़ों से अपनी शान को बरकरार रखते हुए आम जनता की पसंद बन चुका है। यहां के बाजारों में राजशाही लोगों की संस्कृतियों की छाप है जो की चांदी, सोने, हीरे, प्राकृतिक पत्थर, कीमती और अर्ध कीमती जेवरों में देखने को मिलती है। इनका उत्पादन 90 प्रतिशत जयपुर से ही होता है जिसमें 2-3 लाख; सोमकार, मराठा, बंगाली कारीगर अपनी कला से गहनों की सजावट करते है और इन्हें एक आकार का रूप देते है। बता दें की भारत में सोने का आयात 800 टन का होता है और इसका व्यपार राष्ट्र से लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर तक किया जाता है जिसमें अमेरीका, रूस, यूरोप, दुबई, जापान आदि देश शामिल है।