समस्या को उलझाने में नहीं, समस्या को सुलझाने में हो ज्ञान का प्रयोग : आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री महाश्रमण
आचार्यश्री महाश्रमण

कलह, विवाद को सुलझाने और ईमानदारी रखने को भी आचार्यश्री ने किया अभिप्रेरित

विशेष प्रतिनिधि, छापर (चूरू)। पूज्य कालूगणी की जन्मभूमि पर वर्ष 2022 का चतुर्मास कर रहे युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम जारी है। बुधवार को आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण पूरी तरह जनाकीर्ण बना हुआ था। प्रात:काल के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्र के आधार पर मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि भगवती सूत्र में चार देव जगत बताए गए हैं। उनमें एक है-वैमानिक। वैमानिक के भी दो भेद होते हैं- कल्पोपन्न और कल्पातीत।

कल्पोपन्न में बारह देवलोक बताए गए हैं। इनमें पहले देवलोक के इन्द्र सौधर्म और दूसरे देवलोक के इन्द्र ईशान हैं। तीसरे देवलोक के इन्द्र हैं सनत्कुमार। पहला देवलोक और दूसरा देवलोक आपस में सटा हुआ है तो भगवती सूत्र में प्रश्न किया गया कि क्या पहले और देवलोक की सीमा सटे होने से आपस में विवाद नहीं होता है क्या? उत्तर दिया गया कि हां, होता है। पुन: प्रश्न किया गया कि उस विवाद से मुक्ति कैसे मिलती है? बताया गया कि जब पहले और दूसरे देवलोक में विवाद होता है तो तीसरे देवलोक के इन्द्र सनत्कुमार को बुलाया जाता है और उनके दिए गए फैसले से दो इन्द्र सन्तुष्ट हो जाते हैं और उनकी बात को मान भी लेते हैं।

कलह और विवाद से बचने का प्रयास करना चाहिए

आचार्यश्री महाश्रमण
आचार्यश्री महाश्रमण

इस प्रसंग अनुसार इन्द्र सनत्कुमार से यह सीख लेने का प्रयास करना चाहिए कि आदमी को कलह और विवाद को पैदा करने का नहीं, बल्कि कलह और विवाद से बचने का प्रयास करना चाहिए। किसी विवाद और कलह को शांत करने का प्रयास करना चाहिए। मनुष्य के पास ज्ञान है तो वह अपने ज्ञान का प्रयोग किसी समस्या को उलझाने में नहीं, बल्कि किसी समस्या को सुलझाने में प्रयोग करना चाहिए। न्यायपालिका में फैसला करने वाले न्यायाधीश होते हैं।

किसी के खिलाफ झूठी गवाही ना दें

आदमी को न्यायपालिका में कभी जाना भी पड़े तो आदमी यह प्रयास करे कि वह किसी के खिलाफ झूठी गवाही न दे और यथासंभव अपने वकील को भी झूठ बोलने से रोकने का प्रयास करना चाहिए। इसी प्रकार आदमी समाज में रहे अथवा किसी संगठन में, अपने ज्ञान और शिक्षा के द्वारा विवाद पैदा न करे, बल्कि कोई विवाद हो तो उसे सुलझाने का प्रयास करे। साधु समुदाय भी किसी ज्ञात विवाद को सुलझाने का प्रयास करें।आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करने के उपरान्त आचार्य तुलसी द्वारा रचित ‘कालूयशोविलासÓ के सुमधुर संगान और आख्यान के क्रम को भी आगे बढ़ाया।

यह भी पढ़ें : कांग्रेस ने आरएसएस की ड्रेस को लगाई आग!

Advertisement