
जोधपुर । साहित्य अकादमी , नई दिल्ली की ओर से नई दिल्ली स्थित ‘ कमानी सभागार ‘ में सुप्रतिष्ठ मराठी लेखक,कवि एवं आलोचक भालचंद्र नेमाडे के मुख्य आतिथ्य में साहित्य अकादमी पुरस्कार 2021 अर्पण समारोह सम्पन्न हुआ । समारोह में 24 भाषाओं के पुरस्कार विजेता साहित्यकारों में शामिल राजस्थानी और हिन्दी के सुप्रतिष्ठ कवि, कथाकार आलोचक, संपादक, तथा अनुवादक मीठेश निर्मोही को उनकी राजस्थानी काव्य कृति ‘मुगती’ के लिये साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया । समारोह में अकादेमी के सचिव के.श्रीनिवासराव ने निर्मोही के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित कर, अकादेमी के उपाध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक ने माल्यर्पण कर तथा अध्यक्ष डॉ . चन्द्रशेखर कंबार ने मीठेश निर्मोही को साहित्य अकादेमी की ओर से शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपये की राशि का डी. डी. भेंट किया । ज्ञातव्य रहे कि मीठेश निर्मोही जोधपुर विश्वविद्यालय, जोधपुर से प्रथम श्रेणी से दर्शन शास्त्र में एम .ए तथा जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ,जोधपुर से प्रथम श्रेणी प्रथम स्थान (दो गोल्ड मेडल) से राजस्थानी साहित्य में एम.ए. हैं । आप राजस्थानी भाषा के संवैधानिक मान्यता के आन्दोलन से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं । आपने राजस्थानी साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ‘आगूंच’ का वर्षों तक संपादन भी किया है।
निर्मोही राजस्थानी में ‘आपै रै ओळै ओळै-दोळै’ तथा ‘मुगती’ (कविता संग्रह ), अमावस, एकम अर चांद (कहानी संग्रह), आधुनिक राजस्थानी कवितावां, आज री राजस्थानी कहांणियां, तथा राजस्थानी साहित्य पद्य संग्रह (संपादित ) और हिन्दी में ‘चेहरों की तख्तियों पर’ एवं ‘चिडिय़ा भर शब्द’ (कविता संग्रह) तथा ‘शब्द की संगत’ ( संपादित कविता संग्रह) प्रकाशित हैं ।इन पुस्तकों के अतिरिक्त राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली तथा नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली आदि से प्रकाशित 46 संकलनों में आपकी कविताएं, कहानियां और अन्य रचनाएं संकलित हैं।
मीठेश निर्मोही को पहले भी हो चुके हैं प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानिपत
मीठेश निर्मोही को राजस्थानी कहानी संग्रह ‘अमावस एकम अर चांद ‘ पर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर प्रदत्त प्रसिद्ध ‘मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार’ (2005) तथा इससे पहले वर्ष 1987 में उनकी राजस्थानी कहानी ‘बंधणÓ पर विपुला (तेलगु पत्रिका) द्वारा आयोजित सर्व भाषा कथा प्रतियोगिता में सैकिंड प्राइज़ मिल चुका है । इन पुरस्कारों के अतिरिक्त उन्हें वर्ष 1988 में ‘ज्ञान भारती, कोटा ‘ से हिन्दी कविता संग्रह ‘चेहरों की तख्तियों पर’ महाकवि निराला पुरस्कार, वर्ष 2007 में हिन्दी कविता संग्रह ‘चिडिय़ा भर शब्द’ पर राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर प्रदत्त ‘सुधीन्द्र कविता पुरस्कार ‘ ,वर्ष 2009 में ‘ओ मृत्यु ! (हिन्दी कविता) पर अखिल भारतीय स्तर राजस्थान पत्रिका प्रदत्त ‘सृजनात्मक साहित्य पुरस्कारv , 2010 में हिन्दी कविता संग्रह ‘चिडिय़ा भर शब्द ‘ पर शिव वीणा संस्थान, कोटा से राष्ट्रीय स्तर पर ‘ श्रीमती कांता वर्मा साहित्य पुरस्कार ‘ , वर्ष 2012 में उनके समग्र रचना कर्म पर ” पांचवां अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन,तासकंद – उज्बेकिस्तान प्रदत्त “सृजनश्री सम्मान “,वर्ष 2013 में त्रिसुगंधि कला ,साहित्य एवं संस्कृति संस्थान, जालौर प्रदत्त “कवि पद्मनाभ सम्मान “, वर्ष 2018 में पन्द्रहवें अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन,मास्को-रूस प्रदत्त ‘श्री सलेक चंद जैन अन्तरराष्ट्रीय ‘ साहित्य सम्मान तथा वर्ष 2021 में ही उन्हें पीस पोएट हू चेंज द वर्ल्ड (वर्ल्ड आइकॉन ऑफ लिटरेचर) पुरस्कार तथा राजस्थानी कविता संग्रह ‘मुगती’ पर ‘गोइन्का फाउण्डेशन , बंगलौर ‘ प्रदत्त एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपये के ‘मातुश्री कमला गोइन्का राजस्थानी साहित्य पुरस्कार ‘ से सम्मानित किया जा चुका है ।
अन्य उपलब्धियां
उनकी कविताओं और कहानियों का रूसी तथा अंग्रेजी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है। मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय, उदयपुर के स्नातक पाठ्यक्रम में उनका राजस्थानी कविता संग्रह ” आपै रै ओळै – दोळै शामिल है। इसी तरह माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर के 11वीं एवं 12 वीं कक्षाओं के पाठ्यक्रमों में राजस्थानी एवं हिन्दी की कविताएं और कहानियां शामिल रही हैं । आकाशवाणी और दूरदर्शन से लगभग चार दशकों से नियमित रूप से प्रमुख कवि और कथाकार के रूप में योगदान दे रहे हैं। आप राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी में तीन टर्म तक सामान्य सभा के सदस्य रहे हैं । आपकी कहानी ‘बंधण’ के नाट्यान्तरण के पश्चात राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली के शिक्षक, प्रख्यात रंग कर्मी दिनेश खन्ना के निर्देशन में मंचन हुआ। राजस्थान सरकार के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आप ‘कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान, जोधपुर के मानद सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।