मोदी नहीं चाहते थे 2000 का नोट बाजार में आए

नृपेन्द्र मिश्रा
नृपेन्द्र मिश्रा

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा का अहम खुलासा, बोले-यह नोटबंदी नहीं

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक यानि कि आरबीआई 2000 के नोटों को वापस लेने का ऐलान कर चुकी है। इसकी प्रक्रिया भी जारी है। आरबीआई की इस घोषणा के विपक्ष पीएम मोदी और उनकी सरकार की आलोचना कर रहा है, लेकिन अब जो जानकारी सामने निकलकर आ रही है, वो विपक्ष को चुप करा देगा। मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी कभी भी 2000 के नोट को बाजार में लाने के लिए सहमत नहीं थे। उन्होंने अनिच्छा से इसके लिए अपनी सहमति दी थी। नृपेंद्र मिश्रा 2016 में नोटबंदी के दौरान पीएम के प्रधान सचिव थे।

प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री

मिश्रा ने आगे कहा, उन्होंने (पीएम मोदी) कभी भी 2000 रुपये के नोट को गरीबों का नोट नहीं माना। उन्हें पता था कि 2000 रुपये में लेन-देन मूल्य के बजाय जमाखोरी होगी। 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के फैसले पर नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि ये नोटबंदी नहीं है, ये 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेना है।

30 सितंबर तक बैंकों में जमा कर सकते हैं 2000 के नोट

2000 के नोट
2000 के नोट

रिजर्व बैंक ने 19 मई को 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी। कहा था कि फिलहाल इन नोटों को 30 सितंबर तक बैंकों में जाकर जमा करने के अलावा बदला भी जा सकता है। एक बार में सिर्फ 10 नोट ही बदले जाएंगे। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि 2,000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने का अर्थव्यवस्था पर बहुत सीमित प्रभाव ही देखने को मिलेगा, क्योंकि ये नोट चलन में मौजूद कुल मुद्रा का सिर्फ 10.8 प्रतिशत ही हैं।

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