जयकारों के बीच मनाया मोक्ष कल्याणक

मोक्ष कल्याणक

चढ़ाया निर्वाण लड्डू

जयपुर। श्याम नगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर वशिष्ठ मार्ग दिगम्बर जैन मंदिर में गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ससंघ सानिध्य में 23वें तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ स्वामी का मोक्ष कल्याणक (मोक्ष सप्तमी) पर्व मनाया गया।

इस दौरान प्रात: 6 बजे से श्रीजी के कलशाभिषेक एवं माताजी के मुखारविंद वृहद शांतिधारा का आयोजन किया गया, जिसमें श्रावक और श्राविकाओं ने कलशों के माध्यम से धारा देकर भगवान पाश्र्वनाथ स्वामी की आराधना की। इसके उपरांत नित्य नियम पूजन किया गया और पाश्र्वनाथ स्वामी का पूजन कर निर्वाण कांड पाठ के गुणगान के पश्चात जयकारों के साथ जिनेन्द्र प्रभु के श्रीचरणों में निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया और महामंगल आरती की गई।

धर्म की पहचान कर्मों से होती है : गौरवमती

भगवान पाश्र्वनाथ स्वामी के मोक्ष कल्याणक महोत्सव के अवसर पर गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि प्रत्येक प्राणी अपने जीवन मे अनेकों प्रकार के पापों में रत होकर चलते आ रहे हैं। यह पाप कर्म कुछ अनजाने में होते हैं तो कुछ जानबूझ कर किये जाते हैं। अनजाने में होने वाले पाप का छोड़ दें तो बाकी के पापकर्म हमें पतन और गर्त में ले जाते हैं। इन्हीं कर्मों के कारण प्राणी को अनेकों प्रकार के कष्टों, दु:खों और तकलीफों को सामना करना पड़ता है।

कहावत है कि हम जैसे कर्म करेंगे, वैसा ही फल प्राप्त होंगे। प्राणी हंस-हंसकर आनंद मानकर नाना प्रकार से पाप किए जा रहे हैं, जब उन्ही कर्मों का फल प्राप्त करते हैं तो उन कर्मों का पश्चाताप करने का अवसर भी नहीं मिल पाता। जिन्होंने अपने कर्मों के महत्व को जाना आज हम सभी मिलकर उनका मोक्ष कल्याणक पर्व मना रहे हैं। कर्म सभी के जीवन का अंग है बस उसे हमें चुनना है कि उन कर्मों का कैसा फल प्राप्त करना है।

मोक्ष कल्याणक

पद्मावती माता की गोद भराई

अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि शुक्रवार को पद्मावती माता की गोद भराई का कार्यक्रम आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में किया जाएगा। इस दौरान शहरभर के श्रद्धालु गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी के सानिध्य ने पद्मावती माता का श्रृंगार करेंगे और फल, फूल, मावा, वस्त्र के माध्यम से गोद भराई करेंगे। कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र बडज़ात्या और अजीत पाटनी के द्वारा किया जाएगा।

यह भी पढ़ें : गर्भस्थ शिशु को मां भावात्मक संस्कार दे सकती है : आचार्य