पहली बार बनेगा राजस्थानी भाषा का अनुवाद सॉफ्टवेयर और राजस्थानी सीखने का एप्प

राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर कर रहा अभिनव पहल

राजपूताना के भूतपूर्व रजवाड़ों के मारवाड़ी, ढुंढाड़ी, मेवाती, बांगड़ी व हाड़ौती में उपलब्ध लगभग 40-50 करोड़ अभिलेखों को पढऩे और अनुवाद करने में होगी आसानी

दुनियाभर के प्रवासी राजस्थानियों ने जताया आभार

विस, दैनिक जलतेदीप, बीकानेर/जयपुर

राजस्थान की भाषा, संस्कृति और इतिहास में ज्ञान का अमूल्य खजाना छिपा है। मगर अलग अलग बोलियों, विलुप्त होती लिपियों व भाषा को मान्यता नहीं मिलने के कारण यह ज्ञान नई पीढ़ी को मिलने से वंचित रह गया। करोड़ों लोगों की इस मातृभाषा को अब संजीवनी मिलने वाली है। राजस्थान राज्य अभिलेखागार ने एक बड़ा जिम्मा उठाया है।विभाग ने भूतपूर्व रियासतों की विभिन्न बोलियों – मारवाड़ी, ढुंढाणी,मेवाती, बागड़ी, हाडौती इत्यादि के हिन्दी में अनुवाद का सॉफ्टवेयर एवं राजस्थानी भाषा सीखने का एप्प बनवाने की तैयारी शुरु कर दीहै।

सी-डैक राजस्थान की अलग अलग बोलियों के अक्षरों के हिसाब से हिन्दी के स्वर व व्यंजनों को सेट कर फांट बना यह अनुवाद सॉफ्टवेयर और एप्प तैयार करेगा। राजस्थान सरकार की इस बजट घोषणा को समय पर पूर्ण करने के लिए इस पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। आईटी विभाग की हाईलैवल समिति और विा विभाग से स्वीकृति के बाद इसे पूरी तरह से नि:शुल्क तथा सभी प्लेटफार्म पर लांच किये जाने की योजना है।विभाग के इस महत्वपूर्ण कार्य पर उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा भी समय समय पर समीक्षा रिपोर्ट ली जा रही है।

उल्लेखनीय है कि इस अभिलेखागार में राजपूताना के भूतपूर्व रजवाड़ों के लगभग 40-50 करोड़ अभिलेख राजस्थानी भाषा में उपलब्ध है। राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर 10,000 वर्ग फुट में फैले, देश के पहले डॉक्यूमेंट म्यूजियम (दस्तावेज संग्रहालय) का पिछले साल आनलाईन समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा उद्घाटन किया गया था। जिसकी पूरे देश भर में तारीफ हुई तथा आज भी दूर-दूर से लोग इस संग्रहालय को देखने आते है।

सी-डेक के माध्यम से बनवाया जाएगा सॉफ्टवेयर और एप्प  

विभाग मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत राजस्थानी भाषा का अनुवाद सॉफ्टवेयर तथा इसे सिखाने का एप्प बनवाने की योजना पर कार्य कर रहा है। यह कार्य सी-डैक, पूणे के माध्यम से करवाया जाएगा। सी-डेक, भाषा संबंधी सॉटवेयर ही तैयार करता है व लगभग 20 से 22 भाषाओं के सॉफ्टवेयर बना चुका है। विभाग व प्रदेश में इन बोलियों व लिपियों को पढऩे वाले बहुत कम संख्या में भाषा विशेषज्ञ उपलब्ध है तथा शोधार्थियों व आम जनता को भी इसको पढऩे व समझने में कठिनाई होती हैं।  इस संबंध में सी-डैक, पूणे की टीम ने मुख्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर विभिन्न रजवाड़ों की बहियों दस्तावेजों को गहनता से देखकर इस कार्य को करने का अपना प्रस्ताव तैयार कर भेजा है।

राजस्थानी में मौजूद वर्षों पुराने दस्तावेज पढ़ सकेंगे

सी-डैक के अधिकारियों ने बताया कि कार्य प्रारम्भ करने के पश्चात एक वर्ष में राजस्थानी का अनुवाद सॉफ्टवेयर तैयार कर देगें साथ ही राजस्थानी भाषा को सिखाने का एप्प भी तैयार करके विभाग को देंगे। राजस्थानी भाषा के हिन्दी में अनुवाद करने वाले सॉफ्टवेयर बनने से देश-विदेश के शोधार्थियों तथा प्रदेश की जनता को सीधा लाभ मिलेगा। सॉफ्टवेयर के बनने से शोध के क्षेत्र में नवीन क्रांति आयेगी वहीं प्रदेश की जनता 1953 ई से पूर्व के उनके मकान/जमीन, कृषि भूमि व ऐतिहासिक दस्तावेज आसानी से पढ़ सकेगी। राजस्थान सरकार की इस बजट घोषणा को समय पर पूर्ण करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। विभाग के इस महत्वपूर्ण कार्य पर उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा भी समय समय पर रिपोर्ट ली जा रही है।

राजस्थानी भाषा हमारी समृद्ध धरोहर और पहचान : धीरज श्रीवास्तव

राजस्थान फाउंडेशन के कमिश्नर धीरज श्रीवास्तव ने अभिलेखागार के प्रयासों को अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा सीखाने व इसे हिन्दी में अनुवाद करने के एप्प से राजस्थानी भाषा को नई उंचाईयां और सही सम्मान प्राप्त होगा।

राजस्थानी भाषा हमारी समृद्ध धरोहर और पहचान है। राजस्थान सरकार की तरफ से यह एप्प सभी प्रवासियों व प्रदेशवासियों के लिए एक अनमोल तोहफा साबित होगी।

दुनिया जानेगी राजस्थानी भाषा और हमारी विरासत : प्रेम भंडारी

अमेरिका में रह रहे प्रमुख प्रवासी राजस्थानी व अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति के अन्तर्राष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताते हुए कहा कि गहलोत जब वर्ष 2003 में अमेरिका पधारे थे तब राना के तत्कालीन अध्यक्ष के.के. मेहता व डॉ. शशि शाह ने उन्हें राजस्थानी की मान्यता के लिए ज्ञापन दे आग्रह किया था उसके बाद ही 25 अगस्त 2003 को राजस्थान विधानसभा के आखरी सत्र के आखरी दिन में सर्व सम्मति से गहलोत सरकार ने विधानसभा में राजस्थानी को मान्यता का संकल्प पारित कर केन्द्र को भिजवा दिया था। अब गहलोत सरकार की बजट घोषणा के बाद राजस्थानी भाषा का हिन्दी अनुवाद सॉफ्टवेयर और राजस्थानी भाषा सीखाने के एप्प से राजस्थानी भाषा और हमारी विरासत को पूरी दुनिया जानेगी। मैं राजस्थान फाउंडेशन और धीरज श्रीवास्तव का विशेष आभार जताना चाहता हूं कि वे पूरे प्रवासी राजस्थानियों को अपनी भाषा संस्कृति से जोड़ कर मुख्यमंत्री के सपने को साकार कर रहे है। साथ ही राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक और उनकी पूरी टीम बधाई के पात्र हैं उनका यह प्रयास राजस्थान और राजस्थानी के लिए ऐतिहासिक सिद्ध होगा।

दुनिया भर के प्रवासी राजस्थानियों ने जताया आभार

राजस्थानी सीखाने की एप्प और इसे हिन्दी में अनुवाद का सॉफ्टवेयर तैयार करवाने की योजना के लिए लंदन, यूके से हनवंतसिंघ राजपुरोहित, कनाडा से प्रताप पुरोहित, न्यूयॉर्क से कनक गोलिया,अशोक संचेती, अशोक पांडे, निशांत गर्ग तथा संयुक्त अरब अमीरात से विनय भंडारी व रवि सारडा सहित दुनियाभर के प्रवासी राजस्थानियों ने राजस्थान सरकार, राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक और उनकी पूरी टीम का आभार जताया।

देश का पहला दस्तावेज संग्रहालय भी बनाया

राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर (आरएसएबी) के परिसर में देश के पहले डॉक्यूमेंट म्यूजियम (दस्तावेज संग्रहालय) का उद्घाटन पिछले साल 20 अगस्त को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा किया गया। आरएसएबी के निदेशक महेंद्र खडग़ावत ने बताया कि 10,000 वर्ग फुट में फैले और 4.12 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित, संग्रहालय में किसानों (सम्राट द्वारा जारी शाही फरमान), तांबे की प्लेट, निशान (शाही परिवार द्वारा जारी), पट्टा (भूमि रिकॉर्ड) का संग्रह है। और तत्कालीन 107 रियासतों के कानूनी फरमान जिनमें वर्तमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल हैं।

संग्रहालय में 3,000 ऐतिहासिक लेखों का प्रदर्शन

संग्रहालय में  3,000 ऐतिहासिक लेख प्रदर्शित किए गए हैं। अत्याधुनिक संग्रहालय को आठ श्रेणियों में बांटा गया है- दस्तावेज़ गैलरी, छत्रपति शिवाजी महाराज गैलरी, तांबे की प्लेट गैलरी, महाराणा प्रताप गैलरी, प्रदर्शनी गैलरी और डॉ एल.पी. पेफिटोरी गैलरी, संरक्षण गैलरी और राज्य स्वतंत्रता सेनानी गैलरी। अगले चरण में दो और परिवर्धन-कार्टोग्राफी और एक सभागार का निर्माण किया जा रहा है।

विदेशों से मिल रहा सहयोग

दीमक मुक्त लकड़ी की दीवारों पर अभिलेखीय दस्तावेज अंकित किए गए हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रकार के रसायन का उपयोग किया गया है कि यह 3 साल तक दीमक मुक्त रहे। उसके बाद, एक और कोटिंग की होगी।  संग्रहालय को पहले ही पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय (यूएसए), ब्रिटिश लाइब्रेरी (लंदन), यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर (लंदन), आईआईटी-खडग़पुर, सीईपीटी विश्वविद्यालय (अहमदाबाद) द्वारा ऐतिहासिक रिकॉर्ड साझा करने में सहयोग प्राप्त हो चुका है।