स्टार पर बवाल

किसे पता था कि स्टार-तारों-सितारों पे ‘रार और ज्यादा बढ जाएगी। बहस खड़ी हो जाएगी। सवाल खड़े कर दिए जाएंगे। भाईसेण हंगामा-धमाल शुरू कर देंगे। उनने तो झगड़ा शांत करने के लिहाज से चांद-तारें-सितारें टपकाए थे। क्या पता था कि स्टार को गद्दारों और नालायकों-नकारों से जोड़ दिया जाएगा। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।
प्रकृति ने हमें जितने भी तोहफे दिए सारे के सारे नायाब हैं। एक से बढ कर एक।

आले से आले। निराले से निराले। सब के सब आखी दुनिया को कुछ ना कुछ देते हैं। लेते कुछ नहीं है। यूं कहें कि उन्हीं के देने वाले हाथों पे दुनिया टिकी हुई है, तो भी गलत नहीं। एक ऐसे तोहफे का नाम बता द्यो-जिस ने हमसे कुछ लिया हो। हां, किसी ने प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की तो उसे हिसाब बराबर करना आता है। जब प्रकृति हमारी रक्षा कर रही है तो उस की रक्षा करना मानव समाज का पहला धरम है मगर हम उस धरम-फर्ज-कर्तव्य से जी चुराने से बाज नही आते। जिस की सजा समाज को प्राकृतिक आपदाओं-विपदाओं के रूप में भुगतनी पड़ती है।

जब-जब हमने प्रकृति को ‘घोबे मारे-तब-तब हमें किसी ना किसी आपदा का सामना करना पड़ा। चाहे वो विपदा बाढ के रूप में आई हो या तूफान-भूचाल के रूप में।
प्रकृति के हर किरदार दुनिया के चालन-संचालन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।

वह भी नियमित और बगैर किसी-‘नागा के। हम-आप तो हफ्ते-दो हफ्ते-महिने में एक अवकाश ले लेते हैं। प्रकृति के करमचारी तो साल में तीन सौ पैंसठ दिन नियमित और चौबीसों कलाक सेवा देते हैं। फर्ज करो कि प्रकृति अपने स्टाफ में हमारे पुलिस कर्मियों और राज्य कर्मियों को रख लेती तो क्या होता। होता क्या-सारी व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाती। कूंडा हो जाता है। पुलिस वाले हफ्ता लेकर चांद को दिन में निकलने के लिए भेज देते और सूरज को तारों के बीच बिठा देते। सूरज काका ज्यादा चीं-चप्पड़ करते या नियमों का हवाला देते तो पांडुु का गंगाराम तैयार। ………..(गाली) म्हनै कानून हिखावे.. कूटो रै इन्हें..।

और सरकार कर्मी बादलों को वहां बरसने भेज देते जहां के लोग ऑलरेडी-‘धाप चुके हैं। जहां बरसात करवानी है, वहां के लोग उन के पास जाते तो फाइल पे ‘वेट रखना जरूरी। जैसा ‘वैट वैसी बारिश। स्टाफ और अफसर लोग कभी आते-कभी नहीं आते। आते तो दिन भर मोबाइल में लगे रहते। नहीं आते तो कोई पूछणे वाला नहीं। कई भाईसेण दस्तखत करके चल देते। कुल जमा जैसा हाल यहां है, वैसा प्रकृति का हो जाता लिहाजा वो सारा संचालन अपने हिसाब और बेहतरीन तरीके से कर रही है। कहीं कोई लोचा नहीं-कहीं कोई पंगा नहीं। सारे कार्य सुव्यवस्थित तरीके से चल रहे हैं।

सूरज रोशनी दे रहा है। चंद्रमा शीतलता प्रदान कर रहा है। तारे टिमटिमा रहे हैं। बादल अपना कर्म कर रहे हैं। मौसम अपने-अपने समय के अनुसार सेवा दे रहे हैं। नदियों से लेकर समंदर तक अपने-अपने धरम निभा रहे हैं। पेड़ हवा के साथ ऑक्सीजन प्रदान कर रहे हैं। प्रकृति का हर पहरूआ सचेत-सतर्क और सावधान। ना कहीं मीन-ना कहीं मेख। तभी तो मानखा जमात ने उनके नामों का अनुसरण किया। चांद प्रकाश। चंद्र प्रकाश। चांदमल। चंद्रदेव। सूरजसिंह। सूरज प्रकाश। सूरजमल। ताराचंद। तारासिंघ। बादल और सरिता इसकी जीती-जागती मिसालें। मां के लिए पुत्र चांद-सूरज-तारा सब कुछ।

पिता के लिए पुत्तर स्टार-सितारा। यहां तक तो ठीक है। चुस्त हैं-दुरूस्त है। सियासत में सितारे को जिस प्रकार विवादों में घसीटा गया, वो ठीक नहीं है। कहां वो-‘तुझे सूरज कहूं या चंदा.. तुझे दीप कहूं या तारा.. के सुर और कहां सियासत में सितारों का जोड़ नकारा-गद्दार से बिठाने की कोशिश।

हथाईबाजों को यकीन है कि स्याणे लोग समझ गए होंगे कि वो क्या कहना चाहते हैं। वो नहीं तो कम से कम राजनीति में टांग रखने वाले तो जान ही गए होंगे। कोई नही समझा तो इसके लिए हम है ना। हमारा इशारा प्रदेश कांग्रेस में चल रही खींचताण की ओर। एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गुट-दूसरी तरफ पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का खेमा।

तीसरी ओर तेरह निर्दलीयों और बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों का जी-उन्नीस। सब के अपने राग-अपने खटराग। पार्टी आलाकमान मजबूर और बेबस। समझौते की हर कोशिश नाकाम। बीच का रास्ता निकल नही रहा। इस बीच प्रदेश प्रभारी अजय माकन के एक बयान ने आग और भड़का दी। उनने कहा कि सचिन कांग्रेस के स्टार हैं.. स्टार प्रचारक हैं.. वो पार्टी से नाराज हो ही नही सकते।

हथाईबाज इस बयान पे बवाल मचता देख रहे हैं। गहलोत-सचिन को पूर्व में नालायक-निकम्मा-नकारा और गद्दार कह चुके हैं। अब उनके चंगु-मंगु कह रहे हैं कि जो बंदा पार्टी को तोडऩे में लगा हैं, वो स्टार कैसे हो सकता है। जो नेता खुद की सरकार को अस्थिर करने में जुटा है, वो तारा-सितारा कैसे हो सकता है। उधर निर्दलीय और पुराने बसपाई खुद को असली स्टार बता रहे हैं। कह रहे हैं असली सितारे तो हम हैं जो गहलोत सरकार को बचाए हुए हैं।
कुल जमा स्टार पर धमाल जारी है। यह समय बताएगा कि इसके तारे-सितारें पक्ष में हैं-किस के गर्दिश में। किस का सितारा चमकेगा-किस का टूटेगा।

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