भारत में अध्यात्म, धर्म, नैतिकता, ईमानदारी का विकास होता रहे : आचार्य महाश्रमण

आचार्य महाश्रमण
आचार्य महाश्रमण

कालूगणी की धरा पर ‘कालूयशोविलास’ का आख्यान सुन श्रद्धालु मंत्रमुग्ध

विशेष प्रतिनिधि, छापर (चूरू)। जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देने वाले, जनमानस के मानस को मंगल प्रवचन से अभिसिंचन प्रदान करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी श्रद्धालुओं को भगवति सूत्र के माध्यम से नित नई प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। इसके साथ ही पूज्य कालूगणी की जन्मधरा पर आचार्य तुलसी द्वारा रचित ‘कालूयशोविलास’ की राजस्थानी आख्यान श्रृंखला के माध्यम से भी लोगों को मंत्रमुग्ध बना रहे हैं।

शनिवार को आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवती सूत्र के आधार पर अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि साधु दो प्रकार के होते हैं – एक प्रमत्त संयत और दूसरे अप्रमत्त संयत। प्रमत्त संयम केवल छठे गुणस्थान वाले साधु होते हैं। सातवें गुणस्थान वाले साधु अप्रमत्त संयत वाले होते हैं। आठवें गुणस्थान से लेकर चौदहवें गुणस्थान तक अप्रमत्त संयत बना रहता है। प्रश्न किया गया कि प्रमत्त संयम में रहने वाले साधु कितने काल तक रह सकता है? उत्तर दिया गया कि प्रमत्त संयत एक जीव की दृष्टि से देखा जाए तो एक समय अन्यथा अनेक जीवों के लिए देखें तो प्रमत्त संयत साधु हमेशा रहते हैं। दूसरा प्रश्न हो सकता है कि अप्रमत्त साधु कितने काल तक रह सकता है? उत्तर दिया गया कि एक जीव की अपेक्षा जघन्य अंतर मुहूर्त और अनेक जीवों के लिए देखें तो हमेशा अप्रमत्त संयत साधु उपलब्ध होते हैं। इस प्रकार अनेक तात्त्विक बातें भगवती सूत्र से प्राप्त होती हैं।

आचार्यश्री ने ‘कालूयशोविलासÓ के आख्यान श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए पूज्य कालूगणी के अपनी अस्वस्थ माताजी को दर्शन देने के लिए बीदासर पधारने, वहां से पुन: सरदारशहर में मर्यादा महोत्सव के जाने, वहां 9 दीक्षा प्रदान करने सहित लाडनूं में प्रवेश करने तक के आख्यान के संगान के साथ स्थानीय भाषा में आख्यान प्रस्तुत किया। जिसे सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध दिखाई दे रहे थे।

मंगल प्रवचन और आख्यान के उपरान्त आचार्यश्री ने कहा कि आज अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद का स्थापना दिवस होता है। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद भी खूब आध्यात्मिक/धार्मिक विकास करती रहे। आज भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी का जन्मदिन भी है। राजनीति की दृष्टि से भारत का प्रधानमंत्री होना भी एक महत्त्वपूर्ण बात होती है। भारत में अध्यात्म, धर्म, नैतिकता, ईमानदारी का भी विकास होता रहे। मोदीजी से साक्षात् मिलना तो इन वर्षों में नहीं हुआ है, किन्तु ऑनलाइन माध्यमों से अनेक बार उनका भाषण आदि हुआ है। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की गुजरात यात्रा के दौरान जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनसे साक्षात रूप में मिलना और थोड़ा वार्तालाप का क्रम भी चला था।

आज उनका जन्मदिवस है। उनका जीवन भी खूब अध्यात्म, धर्म से युक्त रहे। खूब चित्त समाधि, शांति में रहें। खूब धार्मिक/आध्यात्मिक उन्नति होती रहे। भारत का भी आध्यात्मिक/धार्मिक वैभव बढ़ता रहे, सुरक्षित रहे। जनता में संतोष, शांति रहे। प्रधानमंत्रीजी के जन्मदिवस के उपलक्ष में हमारी आध्यात्मिक मंगलकामना।

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