पश्चिम बंगाल: राज्यपाल ने ममता पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया

ममता बनर्जी, Mamata Banerjee
ममता बनर्जी, Mamata Banerjee

कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार और राज भवन के बीच तनातनी एक बार फिर बढ़ गई है। शुक्रवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यक समुदाय का खुल्लम-खुल्ला तुष्टीकरण करने का आरोप लगाया। धनखड़ ने बनर्जी के गुरुवार को उन्हें लिखे पत्र का जिक्र किया जिसमें मुख्यमंत्री ने राज्यपाल पर सरकार के कामकाज में लगातार दखल देने का आरोप लगाया था।

धनखड़ ने कहा कि मु यमंत्री का गुस्सा राज्य में कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने में बड़ी विफलताओं पर पर्दा डालने की एक रणनीति है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राजनीति और टकराव का रुख खत्म करने का अनुरोध करते हुए धनखड़ ने कहा कि उनका व्यवहार राज्य के लोगों की परेशानियों को केवल बढ़ा रहा है।

राज्यपाल ने बनर्जी के गुरुवार को लिखे पत्र के बाद उन्हें लिखे पत्र में कहा कि आपका पत्र इस चुनौतीपूर्ण समय में भयंकर गलतियां करने से जो भारी विफलता सामने आई है , उस पर बहानेबाजी की रणनीति के जरिए परदा डालने के लिए किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अल्पसं यक समुदाय का आपका तुष्टीकरण निजामुद्दीन मरकज घटना पर बेहद खुल्लम-खुल्ला और अनुपयुक्त था।

ममता बनर्जी पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने तुष्टीकरण करने का आरोप लगाया।

यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है तथा इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। राज्यपाल उस कार्यक्रम का जिक्र कर रहे थे जहां बनर्जी को राष्ट्रीय राजधानी में त लीगी जमात के धार्मिक आयोजन पर टिप्प्णी करने के लिए कहा गया था। गौरतलब हो कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पर मु यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को संवैधानिक धर्म लांघने का आरोप लगाया है। दरअसल, सीएम ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह राज्य प्रशासन के कामकाज में लगातार हस्तक्षेप कर रहे हैं।

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इस दौरान सीएम ने राज्यपाल से कहा कि वह फैसला करें कि संवैधानिक धर्म की सीमा रेखा किसने लांघी है। ममता बनर्जी ने राज्यपाल को सात पन्ने का एक पत्र लिखा।

इसमें उन्होंने कड़े श दों में कहा कि धनखड़ भूल गए हैं कि वह (ममता) एक गौरवशाली भारतीय राज्य की निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं, जबकि वह नियुक्त किए गए हैं। सीएम बनर्जी ने पत्र में कहा कि यह आपको फैसला करना है कि किसने संवैधानिक धर्म का उल्लंघन किया है और संवैधानिक पदाधिकारियों में किसने मर्यादा के मूल नियमों को लांघा है।

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