सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को बताया योद्धा, सरकार से कहा- इन्हें नाराज मत कीजिए

The Supreme Court said that the doctors fighting the war against Corona are warriors, do not resent them.
The Supreme Court said that the doctors fighting the war against Corona are warriors, do not resent them.

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोविड19 के खिलाफ लड़ाई में लगे डॉक्टरों के वेतन भुगतान नहीं होने और उनके लिए उचित आवास की समुचित व्यवस्था नहीं होने पर कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिए। थोड़ा आगे बढक़र उनकी शिकायतों के समाधान के लिए कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को वेतन का भुगतान न करने के मुद्दे पर अदालतों को शामिल नहीं होना चाहिए और सरकार को इस मुद्दे का निपटारा करना चाहिए। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डॉ टरों की समस्याओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने ऐसी खबरें देखीं हैं कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं, दिल्ली में कुछ डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है।

पीठ ने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। पीठ ने कहा कि हमने ऐसी खबरें देखीं हैं कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं। दिल्ली में कुछ डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है। इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमें न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए। न्यायालय इस संबंध में एक डॉ टर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था ।

इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में विलंब किया जा रहा है। इस डॉक्टर ने 14 दिन के क्वारंटीन की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केंद्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाए थे। पीठ ने कहा कि युद्ध में, आप सैनिकों को नाराज नहीं करते। थोड़ा आगे बढि़ए और शिकायतों के समाधान के लिए कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिए। कोरेाना महामारी के खिलाफ चल रहे इस तरह के युद्ध में देश सैनिकों की नाराजगी सहन नहीं कर सकता।

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केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कुछ बेहतर सुझाव मिलेंगे तो उन्हें शामिल किया जाएगा। पीठ ने कहा कि आपको और अधिक करना होगा। आप सुनिश्चित कीजिए कि उनकी चिंताओं का समाधान हो। न्यायालय ने इस मामले को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। केंद्र ने चार जून को न्यायालय से कहा था कि संक्रमित लोगों की लगातार बढ़ रही संया को देखते हुए निकट भविष्य में उनके लिए बड़ी संख्या में अस्थाई अस्पतालों का निर्माण करना होगा।

केंद्र ने यह भी दलील दी कि यद्यपि संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है लेकिन कोविड- 19 से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है। केंद्र ने यह भी कहा था कि 7/14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 14 दिन का क्वारंटीन अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है।