राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए तकनीकी होगी कारगर

Rajasthani language Jai Rajasthan Facebook page
Rajasthani language Jai Rajasthan Facebook page

राजस्थानी भाषा के चर्चित साहित्यकार और राजस्थानी भाषा आंदोलन के कर्मठ सिपाही राजेन्द्रसिंह बारहठ से जै जै राजस्थान के फेसबुक पेज पर आनलाईन साक्षात्कार हुआ।

जोधपुर। कोरोना महामारी के इस समय में राजस्थानी भाषा समर्थकों ने प्रत्येक रविवार को शाम 5.30 बजे आमी-सांमी ‘एक पांवडो राजस्थानी मानता’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम की चौथी कड़ी में राजस्थानी भाषा के चर्चित साहित्यकार और राजस्थानी भाषा आंदोलन के कर्मठ सिपाही राजेन्द्रसिंह बारहठ से जै जै राजस्थान के फेसबुक पेज पर आनलाईन साक्षात्कार हुआ।

राजस्थानी भाषा की लिपि के प्रश्न पर उन्होंने बताया कि राजस्थानी की पुराणी लिपि मुङिया थी जिससे ही आगे चलकर देवनागरी लिपि का चलन बना ।

डॉ. बारहठ का ऑनलाईन साक्षात्कार सत्यनारायण राजस्थानी द्वारा किया गया। इस साक्षात्कार में उन्होंने भाषा आंदोलन से जुङने की प्रेरणा डॉ. अर्जुनदेव चारण से मिलना बताया। राजस्थानी भाषा की लिपि के प्रश्न पर उन्होंने बताया कि राजस्थानी की पुराणी लिपि मुङिया थी जिससे ही आगे चलकर देवनागरी लिपि का चलन बना ।

राजस्थानी की लिपि के लिए उन्होंने बताया कि ये दुनिया का सबसे बङा झूठ हैै कि राजस्थानी की लिपि नही है। बिना लिपि इतना व्यापक साहित्य नही सर्जित होता।

सेलेबस के मैटर उपलब्ध नही होने के प्रश्न पर उन्होंने राजस्थानी भाषा के समर्थकों से आवहान किया कि वे सभी मिलकर राजस्थानी के समस्त विश्वविद्यालय के सेलेबस को ऑनलाईन उपलब्ध करने के लिए अपना सहयोग करे।

कल्की अवतार के प्रश्न को उन्होंने नई परिकल्पना के माध्यम से बताया कि कल्की का कल यानि तकनीक है और वर्तमान युग तकनीक का युग है। इसी तकनीक रूपी भगवान के अवतार का उपयोग कर भाषा मान्यता के लिए सभी एक नई पहल करे।

यह भी पढ़ें- राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए: जस्टिस माथुर

जैसे पाठ्यक्रम, गीत, खेलकूद, सांस्कृतिक धरोहरों को ऑनलाईन कर राजस्थानी की सांस्कृतिक विरासत का डिजिटलीकरण किया जाना चाहिये।

जै जै राजस्थान टीम के सदस्य हनवंत सिंह राजपुरोहित लंदन, अचल सोनी लंदन, किरण राजपुरोहित, छैलूदान चारण, घनश्याम नाथ कच्छावा, आकाश मोदी, अरूण तापङिया, फाउलाल प्रजापत, सत्तू आसोप आदि ने कार्यक्रम के अतिथि को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम की अगली कङी में अतिथि डॉ. शिवदान सिंह जोलावास होंगे।