घर से भागी किशोरी को परिजनों को सौंपा, बोली-मैं डॉक्टर बनना चाहती थी, घरवाले पढ़ा नहीं रहे थे, इसलिए भागी

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श्रीगंगानगर। सूरतगढ़ के इंदिरा सर्किल पर बुधवार को रात करीब 12:30 बजे बदहवास हालात में मिली बालिका के परिजनों का पता चल गया है। बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन एवं मानव तस्करी विरोधी यूनिट के संयुक्त प्रयास से इस 15 वर्षीय बालिका के परिजन शुक्रवार को श्रीगंगानगर पहुंचे।

जानकारी के अनुसार सूरतगढ़ पुलिस थाने ने बुधवार को रात ही बाल कल्याण समिति को बालिका के संबंध में सूचित किया। बालिका को पुलिस ने बाल कल्याण समिति (न्यायपीठ) सदस्य आनंद मारवाल, विपिन सांखला, वंदना गौड़ के समक्ष पेश किया और बालिका के आश्रय के लिए मदद मांगी। सूरतगढ़ पुलिस थाना सिटी के सहायक उपनिरीक्षक नूर मोहम्मद व महिला सिपाही शिमला शर्मा ने बाल कल्याण समिति को बताया कि बालिका हमें अपने नाम के अलावा कुछ भी नही बता रही है।

बाल कल्याण समिति ने जब काउंसलिंग की तो तब वह काफी सहमी हुई थी। इसलिए पहले बालिका के साथ मैत्रीपूर्ण वातावरण तैयार किया तब काउंसलिंग शुरू की गई। बालिका ने बताया कि मैं पढऩा चाहती हूं और मेरी माता पढऩे नही देना चाहती है। पिता मुझे पढ़ाना चाहते हैं और मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं, इसलिए मैं घर छोड़कर ट्रेन में बैठकर अपने घर से बहुत दूर आ गई। बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन व मानव तस्करी विरोधी यूनिट ने काउंसलिंग के दौरान बताए गए पते पर पर जानकारी जुटानी शुरू की तो बालिका के लापता होने की एफआईआर पुलिस थाना गन्नौर, सोनीपत (हरियाणा) में दर्ज पाई गई।

बाल कल्याण समिति एवं चाइल्ड लाइन ने पुलिस थाना गन्नौर, सोनीपत से संपर्क साधा और बालिका के श्रीगंगानगर होने की जानकारी दी। बालिका के परिजन बालिका को तलाश करने के लिए हरियाणा के अन्य जिलों में गए हुए थे, मानव तस्करी विरोधी यूनिट ने गन्नौर सोनीपत पुलिस से संपर्क स्थापित किया और परिजनों को श्रीगंगानगर बुलाया। बाल कल्याण समिति ने बालिका को आश्रय के लिए विवेक आश्रम भेज दिया। शुक्रवार गन्नौर पुलिस थाना से हवलदार सुरेन्द्र कुमार, सोनू, महिला सिपाही अंजली, प्रमिला व बालिका के पिता के साथ श्रीगंगानगर बाल कल्याण समिति के कार्यालय में आए।

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