गायत्री शक्तिपीठ के साधना शिविर में सीख रहे हैं आध्यात्मिक व शारीरिक लाभ के तरीके

डूंगरपुर। गायत्री शक्तिपीठ सागवाड़ा में नव दिवसीय विशिष्ट साधना शिविर अंतर्गत 4 राज्यों से आए 40 शिविरार्थी जप, तप व उपासना के साथ तन: शुद्धि, मन: शुद्धि व आत्म शुद्धि का लाभ ले रहे है। शिविर प्रभारी हरिमुख भट्ट ने बताया कि राज्य के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, पाली, भीलवाड़ा, सिरोही व उदयपुर सहित उत्तर प्रदेश, के कानपुर, मध्यप्रदेश के धार, मंदसौर व भोपाल एवं गुजरात के अहमदाबाद से इस नि:शुल्क शिविर में भाग ले रहे शिविरार्थी साधक तड़के ब्रह्म वेला से ही जप तप व उपासना प्रारम्भ करते है।

यज्ञ उपरांत सूर्य नारायण भगवान को अर्घ्य अर्पित करते है। इसके बाद उदगीत एवं भ्रामरी प्राणायाम के साथ प्रार्थना कराई जाती है। नव कुंडीय यज्ञ में प्रतिदिन सभी साधकों एवं श्राद्ध पक्ष में पितरों को श्रद्धांजलि के रूप में यम देवता को आहुतियां समर्पित की जाती है। 31 गायत्री महामंत्र, सरस्वती गायत्री मंत्र, लक्ष्मी गायत्री मंत्र, महा शक्ति गायत्री मंत्र, सूर्य गायत्री , रूद्र गायत्री मंत्र, गणेश गायत्री मंत्र, हनुमान गायत्री मंत्र, महालक्ष्मी गायत्री मंत्र, महाकाल गायत्री मंत्र,महाशक्ति गायत्री मंत्र, नवग्रह, मंत्र के साथ 13 महामृत्युंजय मंत्र की आहुतियां समर्पित करने के बाद यज्ञ के सम्मुख ही सभी साधकों को यज्ञ में दी गई हवन औषधीय सामग्री शुद्ध गो घृत एवं मिष्ठान की आहूतियों के साथ यज्ञीय चिकित्सा द्वारा अनुलोम विलोम प्राणायाम के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है।

रोजाना योग में सूक्ष्म संधि संचालन, ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, चक्रासन, कटिचक्रासन, मयूरासन, भुजंगासन, मंडूकासन, जैसे कई योगासन ध्यान मुद्रा कपालभाती की क्रिया अनुलोम विलोम प्राणायाम उद्गीगीत प्राणायाम एवं भ्रामरी प्राणायाम के साथ सिंहासन शवासन क्रिया संपन्न करवाई जाती है। सभी साधकों को योग से योगी, तप से तपस्वी एवं साधना से साधक बनाये जाने की दिनचर्या में आहार शुद्धि के लिए हरी पत्तियों का जूस व प्राकृतिक आहार दिया जाता है।

प्राकृतिक चिकित्सा अंतर्गत एनिमा चिकित्सा, जलनेति, वमन मिट्टी लेपन, तेल मालिश, पेट पट्टी गर्दन पट्टी एवं सिर पर पट्टी लगाने की अद्भुत क्रिया करवाई जाती है जिससे शुगर, हाई बीपी केलोस्ट्रोल, मोटापा, कमर दर्द घुटना दर्द, सर दर्द, माइग्रेन मानसिक तनाव, मानसिक अवसाद, किडनी, लीवर, फेफड़ों एवं आंतों की बीमारियों सहित असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाई जा रही है।

गायत्री परिवार के जिला संयोजक भूपेंद्र पण्डया के अनुसार हर माह होने वाले इस नि:शुल्क एवं आवासीय शिविर का अगला शिविर 21 अक्टूबर से 30 अक्टूबर को होगा जिसका अग्रिम पंजीयन किया जाता है। शक्तिपीठ प्राकृतिक वातावरण में दिव्य आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर है जहाँ माँ गायत्री व अद्भुत प्रगयेश्वर महादेव स्फटिक शिवलिंग के रूप में विराजित है। यहां स्थित नक्षत्र वाटिका में साधक प्रात: भ्रमण व एक्युप्रेशर पाथ कर आनंदित होते है।

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