पैरों में बिना वजह हो रहे हैं ये बदलाव, तो तुरंत हो जाएं सावधान

पैरों में बदलाव को कैसे पहचानें
पैरों में बदलाव को कैसे पहचानें

अगर आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ रही है तो उसके लक्षण आप अपने पैरों में देख सकते हैं। अगर आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ रहा है तो समझ लीजिए आपके कई और बीमारियां जकडऩे वाली है, यह एक साइलेंट किलर है, इसलिए पहले ही सावधान हो जाएं, अपने पैरों के बदलते रंग और पैरों में दिखने वाले कुछ बदलाव से आप इसके लक्षण का अंदाजा लगा सकते हैं।

कुछ स्थितियों में पैरों का रंग बैंगनी या नीली दिखाई देने लगता है, अगर बिना वजह आपके पैरों में दर्द रहता है, तो यह कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा थकान, पैरों में भारीपन जैसे लक्षण भी कोलेस्ट्रॉल के हो सकते हैं। इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना ही बेहतर है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

पैरों में बदलाव को कैसे पहचानें
पैरों में बदलाव को कैसे पहचानें

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 द्वद्द/स्ररु से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल
हाई कोलेस्ट्रॉल

 

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढऩा शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है। क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पडऩा भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है। इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

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