कर्तव्यों की जानकारी होना आज की अहम जरूरत : राज्यपाल

उदयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि के परिवेश में यह जरूरी है कि हम आजीविका कौशल के साथ-साथ विचार और व्यवहार में सार्वभौम मानवीय मूल्यों की स्थापना करें। हमें वर्तमान प्रसंगों में मूल अधिकारों के साथ-साथ कत्र्तव्यों की जानकारी रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारे शैक्षणिक संस्थान शिक्षा के साथ-साथ विद्या और ज्ञान के प्रकाश को फैलाने वाले केंद्र बने, क्योंकि शिक्षा ज्ञान और उपलब्धि का साधन है और साधन में शुचिता का होना आवश्यक है। इसके लिए शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों को अनुशासित रहना होगा।

 

राज्यपाल उदयपुर में मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के 27 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। विश्वविद्यालय के विवेकानंद ऑडिटोरियम में आयोजित इस दीक्षांत समारोह में राज्यपाल मिश्र ने कहा कि हमें अपने प्राचीन मूल्यों को धारण करते हुए समकालीन सामाजिक राष्ट्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों के समाधान की दिशा में योगदान करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। इसके लिए मानविकी और सामाजिक ज्ञान के साथ-साथ वाणिज्य, विधि, प्रबंध, विज्ञान और तकनीकी आदि के क्षेत्रों में और अधिक शोध पर बल देना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि गत 26 नवंबर को पूरे देश में 70 वां संविधान दिवस मनाया गया। संविधान हमारा मार्गदर्शक है, हमारा मूल ग्रंथ है युवाओं को राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए संविधान में प्रदत्त कर्तव्यों को अंगीकार करते हुए आगे बढऩा होगा। उन्होंने कहा कि आमजन को मूल अधिकारों की जानकारी तो होती है लेकिन मूल कर्तव्यों से अनजान बने रहते हैं। सभी लोगों को संविधान की जानकारी होना बहुत आवश्यक है उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि विश्वविद्यालयों में युवाओं को मूल कर्तव्यों का ज्ञान कराने के लिए अभियान चलाया जाए ताकि देश की युवा पीढ़ी को मूल कर्तव्यों के बारे में पता चल सके।

 

उन्होंने सुझाव दिया कि इस पर विचार विमर्श करने के लिए गोष्ठियों और सेमिनार का आयोजन किया जाना चाहिए। दीक्षांत अवसर पर राज्यपाल ने सभी उपस्थित विद्यार्थियों को संविधान तथा मूल कर्तव्यों की शपथ दिलाई। राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में छात्रों से ज्यादा छात्राओं की संख्या अधिक होने पर खुशी जताई और कहा कि यह सुखद है कि देश की लक्ष्मी, देश की बेटियां शैक्षिक जगत में अपना परचम लहरा रही हैं।

 

राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कुल 198 विद्यार्थियों को दीक्षा प्रदान की। इसमें 131 को डिग्री तथा 67 को स्वर्ण पदक और डिग्री प्रदान की गई। इसके साथ ही कुल 7 मेधावी विद्यार्थियों को चांसलर मेडल भी दिए गए जो कि कुल संख्या में ही शामिल है। दीक्षांत समारोह में विज्ञान संकाय के 17, पृथ्वी विज्ञान संकाय के 11, समाज विज्ञान संकाय के 23, वाणिज्य संकाय के 16, विधि संकाय के 4, शिक्षा संकाय के 16, प्रबंध अध्ययन संकाय के 14 और मानविकी संकाय के 30 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई।

 

दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री श्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयत्न कर रही है। शिक्षण संस्थानों की पहुंच आज राज्य के कोने-कोने में उपखंड स्तर और दूरदराज तक हो चुकी है। अंतर विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र नई दिल्ली के निदेशक प्रो. अविनाश चंद्र पांडेय ने दीक्षांत भाषण में कहा कि एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में अभिनव ज्ञान को विकसित करने का सामर्थ्य होना चाहिए और जो अन्य देशों में विकसित ज्ञान से भी अपडेट होना चाहिए। प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह राठौड़ ने विश्वविद्यालय द्वारा अर्जित विभिन्न अकादमिक और शोध उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।