जीवन का एकमात्र उद्देश्य श्रमण संघ का विकास : उपाध्याय रविन्द्र मुनिजी

जयपुर। श्रमण संघ के वरिष्ठ उपाध्याय सरल, मिलनसार और विद्वान सन्त रविन्द्र मुनिजी ने ‘माणक’ और दैनिक जलते दीप के प्रधान सम्पादक पदम मेहता को एक शिष्टाचार भेंट में कहा कि अब उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य श्रमण संघ का उल्लेखनीय विकास करना है। उपाध्याय श्री ने लगभग आधे घंटे तक विभिन्न विषयों पर चर्चा की।

आचार्य तुलसी समन्वयवादी सन्त थे

उपाध्याय रविन्द्र मुनिजी ने कहा कि व्यक्ति को अहंकार नहीं रखना चाहिए, बल्कि मिलनसार होना चाहिए, आचार्य तुलसी भी बहुत मिलनसार व समन्वयवादी सन्त थे। एक बार ‘जिनेन्दु’ समाचार पत्र के सम्पादक जिनेन्द्र कुमार जैन से किसी बात पर आचार्य तुलसी का मतभेद हो गया, कई अन्य संस्मरणों का आदान-प्रदान करते हुए चर्चा के दौरान उपाध्याय श्री ने बताया कि लुधियाना में आचार्य महाप्रज्ञ जी से मिलने का सुअवसर मिला, आचार्य महाप्रज्ञ जी शिक्षा और ज्ञान के प्रचार प्रसार के हिमायती थे। हमने भी श्रमण संघ में साधु साध्वियों को और अध्ययन करने के लिए विशेष व्यवस्था की है। जिसका वर्तमान में करीब 160 साधु साध्वियां लाभ ले रही है। श्रावकगणों के सहयोग से साधु साध्वियों की शिक्षा, चिकित्सा और देखभाल के लिए करीब साढ़े सात करोड़ रुपये की निधि बनायी है, जो तत्काल उक्त कार्यो के लिए उपयोग में आती है।

उपाध्याय रविन्द्र मुनिजी को ‘माणक’ पत्रिका और दैनिक समाचार पत्र ‘जलते दीप’ की प्रति भेंट

श्रमण संघ के वरिष्ठ उपाध्याय रविन्द्र मुनिजी को राजस्थानी भाषा की एकमात्र मासिक पत्रिका ‘माणक’ और प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ‘जलते दीप’ की प्रति भेंट करते हुए प्रधान सम्पादक पदम मेहता ने बताया कि जलते दीप प्रकाशन पत्रकारों की व्यावहारिक पाठशाला है। जहां सेवारत रहे, प्रशिक्षित कई ख्याति प्राप्त पत्रकार पत्रकारिता के माध्यम से प्रदेश की सेवा कर रहे हैं। राजस्थान का पहला पत्रकारिता सम्मान ‘माणक अलंकरण’ भी दैनिक जलतेदीप द्वारा 1981 में स्थापित किया हुआ है । इस अवसर पर मानसरोवर जैन श्री संघ अध्यक्ष ज्ञानचंद दुनिवाल जैन, संघ मन्त्री धर्मचंद जैन पाटोली, लालकोठी जैन श्रीसंघ के पूर्व कोषाध्यक्ष सुभाष बापना भी उपस्थित थे। सभी को उपाध्याय श्री ने मंगल पाठ प्रदान कर आशीर्वाद दिया।


Advertisement