
राजगढ़ सादुलपुर में होली पर्व के बाद में गणगौर माता पूजने का सुहागन महिलाओं के साथ बालिकाओं द्वारा पूजने का जो सिलसिला शुरू हुआ।
यह भी पढ़ें- दसवां वेद: कर देखा सै कोय
इस संवाददाता ने देखा कि गणगौर माता की महिलाएं व बालिकाएं सुबह और शाम पूजा करती है तथा दोपहर में पानी भी पिलाया जाता है और शाम को बंदोरा निकालने का कार्यक्रम शुरू होकर महिलाएं प्रसाद चढ़ाकर गणगौर माता के गीत आदि गाकर के प्रसन्न करती हैं।
महिलाएं प्रसाद चढ़ाकर गणगौर माता के गीत गाकर के प्रसन्न करती हैं
लेकिन आज के भौतिक युग की एवं स्मार्टफोन की चकाचौंध में महिलाएं और बालिकाएं 16 दिन गणगौर माता को पूजने की जगह अंतिम दिन ही विदाई के समय पूजा करने लगी है ।
इस संस्कृति को बचाने के लिए बुजुर्ग महिलाओं को अपनी बालिकाओं को संस्कार देने होंगे।