8916. मिलै चकाचक चूरमो

  • मिलै चकाचक चूरमो, साथी आवै सौ।
  • चिणा चाबता देखकर, छिन घूमंतर हो।।


जब खाने को चकाचक चूरमा मिलता है, तो दौड़े-दौड़े सौ दोस्त चले आते हैं, लेकिन जब खाने को कुछ मिलता नही देखते हैं, तो क्षण भर में ही सब छूूमंतर हो जाते हैं।
एक बहुत धनवान सेठ था। उसके एक पुत्र था, जो इकलौता होने से बहुत लाड़ला था। सेठ उसके लिए कभी किसी चीज की कमी नहीं रखता था। वह बड़े ठाठ से रहता था और खूब पैसा खर्च भी करता था। उसके बहुत सारे दोस्त हो गए थे, लेकिन वे सब के सब सिर्फ खाने पीने के यार थे। सेठ का बेटा उन्हें खिलाता-पिलाता था, इसलिए वे उसके दोस्त बने हुए थे। सेठ इस बात को समझ रहा था, इसलिए उसने अपने पुत्र से कहा कि बेटे, इतने सारों से दोस्ती अच्छी नहीं। क्या तुम जानते हो कि वे तुम्हारे सच्चे दोस्त हैं। दोस्त सच्चा होना चाहिए, क्योंकि सच्चा दोस्त ही सुख दुख में काम आता है।

सच्चा दोस्त तो एक ही काफी होता है। लेकिन पुत्र ने सेठ से कहा कि सभी मेरे अच्छे दोस्ते हैं, मेरे कहते ही सब मेरे पास चले आते हैं। तब सेठ ने सोचा कि इस तरह से तो इसकी समझ में कुछ आने वाला नहीं है, अत: इसे किसी और प्रकार से समझाना पड़ेगा। यों सोचकर सेठ कुछ दिनों तक तो पुत्र कुछ नहीं कहा, फिर एक दिन उसने अपने पुत्र से कहा कि अच्छा बताओ, तुम अपने दोस्तों को हमेशा खिलाते-पिलाते हो, क्या तुम्हारे दोस्त भी तुम्हें कभी खिलाते-पिलाते हैं? इस पर पुत्र बोला कि मेरे दोस्त बहुत अच्छे हैं, मंै जो खाने की इच्छा करूंगा, वे तुरंत लाकर हाजिर कर देंगे।

सेठ बोला कि अच्छी बात है। फिर सेठ ने न्योली में दो सौ रूपये भर कर उसे बेटे की कमर में बांध दी और कहा कि तुम अपने दोस्तों के पास जाओ और उनसे कहो कि देखो, मेरे पास इस न्योली में दो सौ रूपये हैं। अब मैं तुम्हें खूब खिलाऊंगा-पिलाऊंगा, लेकिन पहले तुम सब भी अपनी ओर से एक-एक गोठ दो। जब सारे दोस्त गोठ दे दें, उसके बाद तुम इन रूपयों से उन्हें खूब खिलाना-पिलाना। पुत्र अपने दोस्तों के पास पहुंचा और पिता के कहे अनुसार उसने दोस्तों को अपनी न्योली बताई और कहा कि इसमें दो सौ रूपये हंै। इन रूपयों से मैं तुम सबको खूब खिलाऊंगा-पिलाऊंगा, लेकिन पहले तुम सब अपनी ओर से एक-एक करके गोठ दो। लेकिन उसके किसी भी दोस्त उसे गोठ नहीं दी। सभी दूर-दूर रहने लग गए। सेठ के पुत्र ने दो-तीन दिन तक तो न्योली अपनी कमर से बांध रखी, फिर न्योली लाकर अपने पिता के आग पटक दी और बोला कि यह अपनी न्योली संभालिए, मेरी तो कमर ही टूट गई। उस समय रूपये चांदी के होते थे सो न्योली बहुत भारी हो गई थी। सेठ ने पूछा कि क्या हुआ? पुत्र बोला कि मैंने अपने दोस्तों को परख लिया है, अब कभी उनसे नहीं ठगाऊंगा।