8929. आदर तो तुमने करै

  • धन छै तुमने माहरा, हे आभूषण चीर।
  • आदर तो तुमने करै, ए हिज म्हारा वीर।।

धन्य तो तुम हो हे मेरे वस्त्रो और आभूषणों ये मेरे भाई आज मेरा नहीं, बल्कि तुम्हारा आदर कर रहे हैं, वरना मैं तो वही बहन हूं जो पहले भतीजे के विवाह में आई थी।
मकरावास नाम के नगर सेठ धरण रहता था। उसकी एक पुत्री का नाम चंदनश्री था। सेठ धरण ने अपनी सभी पुत्रियों का विवाह संपन्न और वैभवशाली परिवारों में किया था। लेकिन चंदनश्री जिस परिवार में गई, परिस्थितियों के वश वह परिवार वाणिज्य-व्यापार में घाटा होने से निर्धन हो गया। इसके परिणामस्वरूप उसका जीवन निर्धनता में बीतने लगा। सेठ धरण की मृत्यु के बाद वाणिज्य व्यापार उसके पुत्र संभालने लगे।

पुत्र वाणिज्य व्यापार में प्रवीण थे, इसलिए उन्होंने भी खूब धन अर्जित किया। समय आने पर बड़े पुत्र ने अपने पुत्र का विवाह करना तय किया। पुत्र ने विवाह का म्हूरत निकलवाया और अपने सभी सगे-संबंधियों को निमंत्रण भेजा। विवाह में सभी बहने ससुराल से पीहर आई। और बहनें तो वैभवशाली होने के कारण बहुत महंगे वस्त्र आभूषण पहनकर आई, लेकिन चंदनश्री निर्धनता के कारण साधारण वस्त्रों में आई। विवाह के सारे कार्यक्रम संपन्न हो गए तो चंदनश्री ने अपनी ससुराल लौटने का निश्य किया। जब उसने अपने भाईयों से कहा कि मैं अब अपने घर जा रही हूं तो भाइयों ने उसे कुछ दिन और रूकने का नहीं कहा, जबकि उसकी अन्य बहनों को तो कहा था।

वह समझ गई कि मेरे निर्धन होने के कारण अन्य बहनों की तुलना में मेरा कोई आदर सत्कार नही हुआ है और न ही भाईयों ने मुझे रूकने को कहा है। वह मन ही मन अपनी निर्धनता से दुखी होती हुई अपनी ससुराल लौट गई। अब निर्धनता भी कोई सदा तो रहने वाली होती नहीं। भाग्य ने पलटा खाया और उसके ससुराल वाले फिर संपन्न हो गए। विपन्नता दूर हो गई और संपन्नता लौट आई। संयोग से उसके पीहर में दूसरे भतीजे का विवाह तय हो गया और उसे फिर निमंत्रण आया। इस बार वह अत्यंत बहुमूूल्य वस्त्र आभूषणों से सुसज्जित होकर विवाह में पीहर पहुंची। उसे देखकर इस बार उसके भाईयों ने उसका खूब आदर सत्कार किया।

उसके मान सम्मान में किसी प्रकार की कोई कमी नही रखी। चंदनश्री जब भोजन करने बैठी तो उसे भांति भांति के मिष्ठान और व्यंजन परोसे गए। तब चंदनश्री मिष्ठान और व्यंजन आदि के ग्रास अपने वस्त्र आभूषणों पर रखने लगी। यह देखकर विवाह में आये लोग आश्चर्य करने लगे। एक ने आखिर में उससे पूछ ही लिया कि यह आप क्या कर रही है। तब उसने सारी बात बताते हुए कहा कि आज मेरा आदर सत्कार मेरे इन वस्त्रों और आभूषणों के कारण ही हो रही है, वरना बहन तो मैं वही हूं जो पहले भतीजे के विवाह में आई थी। सारी बात जानकर तब लोगों ने उसके भाईयों को खूब फटकारा।

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