
इम्फाल। मणिपुर एन. बीरेन सिंह सरकार का अल्पमत में आना राजयसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। एक राज्यसभा सीट वाले इस मणिपुर राज्य में बीजेपी का राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा गया है। मणिपुर की सत्ता गंवाने के साथ-साथ शुक्रवार को राज्यसभा सीट पर होने वाले चुनाव में बीजेपी को शिकस्त भी खानी पड़ सकती है।
बता दें कि 2017 के चुनाव के बाद मणिपुर में 28 विधायकों के साथ कांग्रेस नंबर वन पार्टी बनकर उभरी थी जबकि बीजेपी के 21 विधायक जीतकर आए थे। लेकिन, बीजेपी ने सभी गैर कांग्रेसी विधायकों को अपने पाले में लाकर सरकार बनाने में सफल रही थी।
मणिपुर राज्य में राज्यसभा सीट पर होने वाले चुनाव में बीजेपी को शिकस्त भी खानी पड़ सकती है
मणिपुर की एक राज्यसभा सीट पर 19 जून को चुनाव होने हैं। एक राज्यसभा सीट पर तीन प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें बीजेपी से तितुलर किंग महाराजा संजाओबा लिसीम्बा, कांग्रेस से पूर्व मंत्री टोंगब्रम मंगिबाबू और नगा पीपुल्स फ्रंट होनरीकुई काशुंग के बीच मुकाबला है। वोटिंग से एक दिन पहले कांग्रेस ने मणिपुर में बीजेपी का समीकरण बिगाड़ दिया है।
60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में अब सिर्फ बीजेपी को 18 विधायकों का ही समर्थन है। साल 2017 में 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 28 सीटें जीतने के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि बीजेपी के खाते में 21 सीटें आई थी।
बीजेपी बीरेन सिंह के नेतृत्व में राज्य में सरकार बनाने में कामयाब हो गई। उसे नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने समर्थन किया था। एनपीपी और एनपीएफ के पास 4-4 विधायक है जबकि एक विधायक एलजेपी के पास है। एन निर्दलीय विधायक और एक टीएमसी विधायक ने भी मणिपुर में बीजेपी सरकार का समर्थन किया था।