गलवान घाटी: 12 वर्षीय बालक गुलाम रसूल, जिसके नाम पर अंग्रेजों ने रखा था इस घाटी का नाम, परिवार आया सामने

galvan ghati
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गलवान घाटी का जिस शख्स के नाम पर पड़ा है वह नाम है गुलाम रसूल गलवान जो लेह, लद्दाख के ही रहने वाला एक मुस्लिम बच्चा (उस वक्त महज 12 साल के थे) था

गलवान घाटी के नाम से आप अब तो पूरी तरह परिचित होंगे। हां वही गलवान घाटी जो लद्दाख में चीन और भारत की सीमा पर स्थित है और चीन की इस पर बुरी नजर है।। यह वही जगह हैं जिस पर चीन और भारतीय सेना के बीच विवाद हुआ और हमारे 20 जवानों की शहादत हुई। लेकिन इसी बीच ऐसा नाम सामने आ गया कि जो चर्चा का विषय बना हुआ है।

जी हां गलवान घाटी का जिस शख्स के नाम पर पड़ा है वह नाम है गुलाम रसूल गलवान जो लेह, लद्दाख के ही रहने वाला एक मुस्लिम बच्चा (उस वक्त महज 12 साल के थे) था। एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वह लद्दाख के दूर दराज, संकरे, पथरीले और पहाड़ी इलाके के हर रास्तों से अवगत थे। इन इलाकों को पार करने की कला में भी वह पूरी तरह निपूर्ण थे।

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ऐसे में आखिर मीडिया रिपोटर्स ने उनके घरवालो को ढूंढ ही निकाला। गुलाम रसूल गलवान के पोते मोहम्मद अमीन गलवान ने पूरी कहानी बताई। इसके अलावा उन्होंने चीन की हरकतों पर यह भी कहा गया कि गलवान घाटी शुरू से ही भारत की रही है। चीन जो दावा कर रहा है वह पूरी तरह से फर्जी है।

गुलाम रसूल गलवान (गलवान घाटी का नाम जिस शख्स के नाम पर पड़ा है )

1962 में भी, चीन ने गैल्वान घाटी को जब्त करने की कोशिश की था लेकिन नाकाम रहा था। गुलाम रसूल के पोते अमीन गलवान ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा – गलवान घाटी पिछले 200 वर्षों से भारत के पास है।

घाटी के इतिहास पर बात करते हुए अमीन ने बताया, सर फ्रांसिस यंगहस्बैंड जो कि एक जाने माने अंग्रेजी वैकेशनर थे और भारत के दौरे पर आए थे। वह तिब्बत-लद्दाख की पहाडिय़ों छुट्टियों के दौरान घूमने आए थे। लेकिन, यहां के मुश्किल रास्तों पर वह भटक गए थे।

गलवान घाटी जो लद्दाख में चीन और भारत की सीमा पर स्थित है और चीन की इस पर बुरी नजर है।

उस समय मेरे दादाजी रसूल गलवान 12 साल पहले ही थे। उन्होंने अंग्रेजों की मदद की और उन्हें सही रास्तों पर पहुंचाने में काफी मदद की। इतनी कम उम्र में पहाड़ी रास्तों की इतनी पहचान ओर मुश्किल से मुश्किल से रास्तों और ऊंचे ऊंचे पठारों को फुर्ति के साथ पार करने की कला अंग्रेज बहुत प्रभावित हुए ओर इस घाटी का नाम उनके नाम पर गलवान घाटी रख दिया।

मोहम्मद अमीन गलवान (गुलाम रसूल गलवान के पोते)

अमीन लद्दाख में अपने दादा के नाम से ही गलवान गेस्ट हाउस चलाते हें। उन्होंने बताया कि लंदन के म्यूजियम से यह किताब हासिल की जिसमें गलवान और घाटी से जुड़े कई किस्सों का जिक्र अंग्रेजों ने किया है। इस किताब में ही गलवान का एकमात्र फोटो हैं। गौरतलब है कि लद्दाख की गाल्वान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़पों में एक कर्नल के साथ 20 भारतीय सैनिक मारे गए हैं, जबकि 43 से अधिक चीनी सैनिक भी मारे गए हैं। चीन लगातार गैलवान घाटी पर अपना दावा कर जानबूझकर इस जगह विवाद खड़ा कर रहा है।

इसी समय, भारत ने साफ कर दिया है कि गालवान घाटी शुरू से ही भारत की रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि अगर कोई हमें उकसाएगा, तो हम इसका कड़ा जवाब देने जा रहे हैं।