
प्रथा जानने के लिए पढ़ें
जगन्नाथ रथयात्रा के पहले प्रभु जगन्नाथ को 108 कलशों से शाही स्नान कराया जाता है। फिर 15 दिन तक प्रभु जी को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है। जिसे ओसर घर कहते हैं। आखिर उन्होंने क्यों एकांत में 15 दिन के लिए रखा जाता है और उसके बाद ही रथयात्रा प्रारंभ होती है? आओ जानते हैं इस रहस्य को। कथा के अनुसार प्रभु जगन्नाथ के कई भक्तों में से एक थे माधवदास। बचपन में ही उनके माता पिता शांत हो गए थे तो बड़े भाई के आग्रह पर उन्होंने विवाह कर लिया और अंत में भाई भी उन्हें छोडकऱ संन्यासी बन गए तो उन्हें बहुत बुरा लगा। फिर एक दिन पत्नी का अचानक देहांत हो गया तो वे फिर से अकेले रह गए। पत्नी के ही कहने पर वे बाद में जगन्नाथ पुरी में जाकर प्रभु की भक्ति करने लगे। माधवदास के संबंध में बहुत सारी कहानियां प्रचलित है उन्हीं में से एक कहानी है प्रभु जगन्नाथ के 15 दिन तक बीमार पडऩे की कहानी। प्रभु जगन्नाथ रथयात्रा के 15 दिन पहले बीमार पड़ जाते हैं और 15 दिन तक बीमार रहते हैं।
15 दिनों तक एकांतवास में रहते हैं भगवान जगन्नाथ

ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में ज्येष्ठ मास के पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र को गर्भ गृह से बाहर लाया जाता है और उन्हें सहस्त्र स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें बुखार आ जाता है। जिस कारण से वह 15 दिनों तक शयन कक्ष में विश्राम मुद्रा में रहते हैं। इस दौरान उन्हें कई प्रकार की औषधियां दी जाती है। सादा भोजन जैसे खिचड़ी इत्यादि का भोग लगाया जाता है। औषधि के रूप में उन्हें काढ़ा भी पिलाया जाता है। फिर आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन वह अपने विश्राम कक्ष से बाहर निकलते हैं और इस दिन भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है
भगवान जगन्नाथ को सहस्त्र स्नान कराने की यह परम्परा और उनके बीमार पडऩे की यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस दौरन दर्शनार्थियों के लिए भी कक्ष के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। जब भगवान स्वस्थ हो जाते हैं तब अपने विशालकाय रथों पर विराजमान होकर नगर यात्रा करते हुए अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर में कुछ दिन विश्राम करते हैं। जगन्नाथ पुरी की यह भव्य रथ यात्रा को संपूर्ण विश्व में ख्याति प्राप्त है। इस रथ यात्रा को देखने के लिए देश एवं विदेश से लाखो की संख्या में लोग जगन्नाथ पुरी मंदिर में एकत्रीत होते हैं।
जगन्नाथ रथ यात्रा 2023 तिथि और यात्रा का समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 19 जून को सुबह 11:25 पर होगी और यह तिथि 20 जून को दोपहर 1:07 पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा 20 जून 2023, मंगलवार के दिन निकली जाएगी। रथ यात्रा का समय इस दिन रात्रि 10:04 निर्धारित किया गया है और यात्रा का समापन 21 जून को शाम 07:09 पर होगा।
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