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दसवां वेद: और न करबा देय

पापी पुन्न करै नहीं, और न करबा देय। खेतां में अड़वा खड़ा चरै न चरबा देय।। जो पापी होता है, वह स्वयं...

दसवां वेद: 8848. सकल सुधारै काम

ज्यां घट बहुळी बुध बसै, रीत नीत परिणाम।घड़ भांगै, भांगै घडै़, सकल सुधारै काम।। जिनके भीतर रीति-नीति के परिणाम वाली बुद्धि बहुतायत से रहती...

दसवां वेद: है सिंघणियां आज लग

है सिंघणियां आज लग, निरबीजां धर नांय। वंस उजाळण बाहुड़ी, मिलै झूंपड़ा मांय।। धरती कभी निर्बीज नहीं होती है। आज भी स्त्री के रूप में सिंहनियां...

दसवां वेद: सिर पर है करतार

सांसो मत कर मूरखा, सिर पर है करतार।वो ही सारै जगत रो, सांसो मेटण हार।। हे मुर्ख। चिंता मत कर, क्योंकि सिर पर कर्तार है।...

दसवां वेद: कर देखा सै कोय

कर देखा सै कोय कोड़़ सयाणप लाख बुध, कर देखो से कोय। अणहोणी होवै नहीं, होणी हो सो होय।। सब कोई अपनी लाख बुद्धि...