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8938. चौडे काढो चतरसी

अकल सरीरां मांय, तिलां तेल ध्रित दूध में। पण है पड़दै मांय, चौड़े काढो चतरसी।। जिस प्रार तिलों में तेल ओर दूध में घी...

8937. भाग भला दिन पाधरा

भाग भला दिन पाधरा, पैंडै पाकै बोर। घर मींडळ घोड़ा जणै, लाडू मारे चोर।। जब भाग्य अनुकूल हो अर दिन अच्छे हों, तो फिर आश्चर्यजनक...

8936. ज्यां घट बहुळी बुध बसै

ज्यां घट बहुळी बुध बसै, रीत-नीत परिणाम। घड़ भांजै, भांजै घडै़, सकल सुधारै काम।। जिनके अंदर रीति-नीति के परिणाम वाली बुद्धि बहुतायत से रहती...

8934. घणा सरळ बणियै नहीं

घणा सरळ बणियै नहीं, देख्या जो वणराय। सीधा-सीधा काटतां, बांका तरू बच जाय।। मनुष्य को बहुत सरल भी नहीं बनना चाहिए। अब वन के...

8933. करम प्रवाणे किसनिया

हिकमत करो हजार, गढपतियां जांचो घणा। धीरज मिलसी धार, करम प्रवाणे किसनिया।। कोई भले ही कितनी ही चतुराइयां क्यों न कर ले, राजाओं...

8932. नर क्रितघण मानै नहीं

कीघोड़ा उपगार, नर क्रितघण मानै नहीं।लानतियां ज्यां लार, रजी उड़ावौ राजिया।। जो कृतघ्न मनुष्य होते हैं, वे किसी के किये हुए उपकार को नहीं...

8931. सब रो दाता सोय

जण-जण रो मुख जोय, जाचक भटकै जगत में। सब रो दाता सोय, उण सूं ही पूरो पडै़।। मांगने वाला जन जन का मुंह देखता हुआ...

8930. वात-वात में वाद

वात-वाद में वाद, वाद फैलाये वादियां। करता फिरै फसाद, ऐ वादीला सेखर।। जो झगडालू होते हैं, वे बात बात में झगड़ा करने लगते हैं। इस...

8929. आदर तो तुमने करै

धन छै तुमने माहरा, हे आभूषण चीर। आदर तो तुमने करै, ए हिज म्हारा वीर।। धन्य तो तुम हो हे मेरे वस्त्रो और आभूषणों ये...

8928. गुरू तो ऐसा चाहियै

गुरू तो ऐसा चाहियै, ज्यों सिकलीगर होय। जनम-जनम का मोरचा, छिन में राळै धोय।। गुरू यानी शिक्षक तो ऐसा होना चाहिए, जैसा एक सिकलीगर होता...