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8756. तूं झल्लै तलवार

कम्मा उगरसेन का, तो जननी बलिदार। चंवर न झल्ले शाह पर, तूं झल्लै तलवार।। हे उग्रसेन के पुत्र कर्मसेन। तुम्हारी जननी को बलिहारी है। तू बादशाह...

8754. ज्यां घट बहुळी बुध बसै

ज्यां घट बहुळी बुध बसै, रीत नीत परिणाम। घड़ भांजै, भांजै घडै़,सकल सुधारै काम।। जिनके भीतर रीति-नीति के परिणाम वाली बुद्धि बहुतायत से रहती हो, वे...

8752. म्हैं हूं शंख ढपोळ

वा ही संखी सोवणी, म्हैं हूं संख ढपोळ। देण-लेण नै कुछ नहीं, हामळ भरूं करोड़।। वह तो सोहनी शांखिनी थी, जो चाहे दे देती थी, लेकिन...

8751. सदा न विपता रह सकै

सदा न फूलै केतकी, सदा न सावण होय। सदा न विपता रह सकै, सदा न सुख भी जोय।। केतकी सदा फूल नहीं देती है और सावन...

4750..अकल सरीरां मांय

अकल सरीरां मांप, तिलां तेल घ्रित दूध में। पण है पड़दै मांप, चौड़े काढो चतरसी।। जिस प्रकार तिलों में तेल और दूध में घी समाया रहता...

8748. जात सभाव न जाय

भावै कितरा हो बडा, व्हो ऊंचो पद पाय। प्रकृति कदै बदलै नहीं, जात सभाव न जाय।। ''भल ही कोई ऊंचा पद पाकर कितना ही बड़ा क्यों...

8747. देखा देखी दरड़ में

मूरख मारग छोड, देखा देखी दरड़ में। हालै होडाहोड, गाडर ज्यूं गोविंदिया।। जो मूर्ख होते हैं वे दूसरों की देखा-देखी करते हुए उनके अनुसार चलने लगते...

8746. चंगा माढ् घर रह्या

चंगा माढू घर रह्यां, ऐ तिन अवगुण होय। कपड़ा फाटै रिण बधै, नांख न जाणै कोय।। निर्धनता में घर रहने से तीन प्रकार के अवगुण पैदा...

8745. मत कोई करो विसास

कामण नै केकाण रो, मत कोई करो विसास। जे चढवै नित चालवै, ते ताही का दास।। 'स्त्री और घोड़े का कभी कोई विश्वास न करे। कारण,...

8744. न्याय पडै़ मुख छार

मैना तो मैं ना करै, लागै दूध की प्यार। रासभ जो हूं-हूं करै, न्याय पडै़ मुख छार।। मैना कभी अहंकार नहीं करती, इसलिए वह सबको...